जोधपुर. आज शिक्षक दिवस है। सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपनी मेहनत से स्कूलों में नवाचार कर रहे हैं। नित नए प्रयोगों से स्कूलों की सूरत बदली है। कई शिक्षक को अपनी जेब से भी खर्च करने से पीछे नहीं हटते हैं, भामाशाहों का सहयोग लिया। किसी ने चारदीवारी बनवाई तो पौधरोपण कर स्कूलों में हरियाली लाए। एक शिक्षका तो सेवानिवृत्ति के बाद भी जोधपुर से दूर बोरुंदा स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जा रही है, वहीं एक शिक्षिका ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गरीब बालिकाओं को मोबाइल तक उपलब्ध करा दिए। शिक्षकों की नवाचार की कई कहानियां हैं।
शिक्षिका सीमा का जुनून बच्चों को दिला रहा कामयाबी
धुंधाड़ा. पंचायत समिति धवा क्षेत्र की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जानादेसर में वरिष्ठ शारीरिक शिक्षिका सीमा विद्यालय को ही अपना परिवार मानती हैं। वरिष्ठ शारीरिक शिक्षिक खेल प्रतियोगिताओं के दौरान ओपन खेलों के लिए विद्यालय के बालक बालिकाओं को ले जाना, अपने घर पर रोकना, समय-समय पर उन्हें खेलने के लिए आर्थिक मदद करना उनका लक्ष्य बन गया है। ताकि गांव की खेल प्रतिभा निखर सके। आत्मरक्षा के गुर भी सिखा रही है। इसके लिए वे विद्यालय में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर उन्हें बताती है कि विपरीत परिस्थितियों में कैसे लडऩा है। विद्यालय में नियमित पौधों देना नियम बन गया। है। भामाशाह सहयोग से विद्यालय में खेल मैदान को खुद कार्य कर समतल करवाया। जहां पर आज हर तरह के खेल होते हैं।
१०० किलोमीटर दूर से पढ़ाती आती है फरह जेबा
पुदलू. शिक्षा का दान देने से शिक्षा का धन बढ़ता है, घटता नहीं है। यही कहावत आज बोरूंदा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय बोरुंदा में प्रतीत होती नजर आ रही है। यहां पर एक महिला शिक्षिका सेवानिवृत्त होने के बाद भी इस विद्यालय में समय पर आकर गांव की बालिकाओं को पढ़ा रही है। फरह जैबा शिक्षिका आज भी जोधपुर से 100 किलोमीटर बोरुंदा बस से आकर निस्वार्थ भाव से इस विद्यालय में बालिकाओं को पढ़ा रही हैं।
निजी व भामाशाह सहयोग से विद्यालय मे लगाए चार-चांद
देणोक. क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक विद्यालय जेतुगो की ढाणी मोरिया में कार्यरत शिक्षक भजन लाल मेघवाल ने विद्यालय की अपने निजी व भामाशाह के जनसहयोग से सूरत बदली। मेघवाल ने 6 साल पहले विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था उस दौरान विद्यालय के चारों तरफ ना चारदीवारी थी ना छात्रों के बैठने के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्ष थे, ना ही कोई पेड़ पौधे थे। इस स्थिति में गर्मियों के दौरान चलने वाली धूल भरी आंधियों व लू में मौसम में स्कूल में अध्ययनरत बच्चों और शिक्षकों का खड़ा रहना भी दुभर था, लेकिन शिक्षक ने गांव के भामाशाह व जनप्रतिनिधियों से लगातार संपर्क करके विद्यालय की चारदीवारी का निर्माण कार्य करवाया। पौधारोपण किया। फर्नीचर की व्यवस्था करवाई। लगातार कठिन परिश्रम और लगन के चलते विद्यालय में बच्चों का नामांकन बढ़ गया।
शिक्षकों ने लगाए सैकड़ों पौधे, कर रहे सार संभाल
आऊ. राउप्रावि भीलो कुकड़ो की ढाणी जाटीसरा मे कार्यरत शिक्षकों ने पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से विद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। शिक्षक राजेन्द्र कुमार सैनी व दानाराम सेवर बताते हैं कि एक दशक पूर्व विद्यालय के आसपास बङे-बड़े बालू मिट्टी के टीले थे, आंधी आने पर विद्यालय में खड़े तक नहीं हो सकते थे। भामाशाह के सहयोग से मिट्टी को हटवाया। फिर सैकड़ों पौधों का पौधरोपण किया। पानी की भी किल्लत देखते हुए निजी नलकूप मालिकों से सम्पर्क करके पौधे के लिए पाइप लाइन लगवाई।
आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं को दिलाया मोबाइल
बिलाडा. खारिया मीठापुर राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेरा छीपा वाला में लगी शिक्षिका चमनआरा ने कोरोना काल मे तीन लड़कियां कोमल अर्चना, हनसा व मनीषा को आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण एंड्राइड मोबाइल भेंट किया था। ताकि ये बच्चे आसानी से ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर सके।
मोहल्लों में जाकर मास्क वितरण करना, समय मिलने पर स्कूल दिवारों पर पेंटिग बनाकर स्कूल को निखारती हैं। आरा ने बिलाडा कस्बे में व गावों में कोरोना में अपनी ड्यूटी कर वालों को मास्क व सेनेटाईजर दिया। सराहनीय कार्य के चलते शिक्षा विभाग व विधायक ने उन्हें सम्मानित भी किया। आरा को ऐसा जुनून था कि कोई भी विद्यार्थी कोरोना को लेकर पढाई से वंचित न हो उसके लिए विद्यार्थियों के घर-घर जाकर उनकी समस्या सुन पढऩे के लिए प्रेरित किया।
Source: Jodhpur