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बेलवा (जोधपुर) . इस फोटो में नमक उत्पादन जैसा नजारा दिख रहा है, लेकिन यह जानकर चौंक जाएंगे कि यहां न तो नमक उत्पादन क्षेत्र है और न ही अन्य किसी वस्तु का उत्पादन हो रहा बल्कि यह अवैध रूप से संचालित कपड़ा फैक्ट्रियों से निकल रहे जहरीले केमिकल्स से बंजर हुई धरती का दृश्य है।

बालेसर व शेरगढ़ क्षेत्र के गांवों में अवैध रूप से कपड़ा धुलाई की सैकड़ों अवैध फैक्ट्रियां चल रही है। इनसे रंगों के साथ जहरीले रासायनयुक्त पानी के साथ उपजाऊ खेतों में डाला रहा है। जहरीले केमिकल से गंभीर बीमारियों के फैलने के खतरे के साथ ही खेती योग्य भूमि बर्बाद होने लगी है। इस रसायनयुक्त पानी से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की कथित मिलीभगत से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है।

पर्यावरण हो रहा प्रदूषित
मारवाड़ जोधपुर कपड़ों की रंगाई-छपाई का व्यापार जो कभी पश्चिमी राजस्थान की पहचान था और हजारों लोगों को रोजगार देने का जरिया बना, अब यहां के पर्यावरण के लिए अभिशाप बन गया है। इन इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट पानी से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इस रासायनिक पानी का दाग धुलने की अपेक्षा और अधिक खराब हो गया है। कपड़ों की अवैध फेक्टियाँ का समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है बल्कि यह विकराल होती जा रही है।

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Source: Jodhpur

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