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सुरेश व्यास/जोधपुर। अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहने वाले लाखों हिंदू परिवार खौफ के भंवर में फंस गए हैं। कारण कि पिछले करीब ढाई महीनों में अल्पसंख्यकों का धार्मिक उत्पीडऩ तेजी से बढ़ा है और अब पाकिस्तान में शरण लेने आ रहे कट्टरपंथियों को सिंध में धकेलने की तैयारियां इन लोगों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं। ऐसे में सिंध से बड़ी संख्या में हिंदू परिवार पलायन करने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी भारत-पाकिस्तान के बीच आवागमन के साधन बंद हैं, लेकिन भारत आने के लिए वीजा आदि लेने की प्रक्रिया बड़ी संख्या में लोग शुरू कर चुके हैं।

जोधपुर व प्रदेश के अन्य इलाकों तथा गुजरात में स्थाई अधिवास पर रहने वाले पाकिस्तानी विस्थापितों से अभी से सिंध में रहने वाले रिश्तेदार मदद की गुहार लगाने लगे हैं, ताकि राजस्थान में बाड़मेर के मुनाबाव से पाकिस्तान के खोखरापार के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस और पंजाब में अटारी-वाघा के रास्ते चलने वाली समझौता एक्सप्रेस से ये लोग भी भारत आ सकें। संभावना जताई जा रही है कि आवागमन के साधन शुरू होते ही बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदू परिवार धार्मिक व पर्यटन वीजा लेकर राजस्थान व गुजरात के विभिन्न इलाकों में पलायन करेंगे।

हावी हो रहे कट्टरपंथी
जोधपुर के कालीबेरी इलाके में विस्थापितों की बस्ती में रहने वाले गोविंद भील कहते हैं कि तालिबान का असर सिंध पर सबसे ज्यादा पड़ा है। वहां कट्टरपंथी हावी हो रहे हैं। मंदिरों में तोडफ़ोड़, लड़कियों का अपहरण, बलात्कार और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं बढ़ गई है। सांघड़ जिले की खिपरो तहसील के वारिया गांव में कट्टरपंथियों ने कृष्णजन्माष्टमी के दिन मंदिर की कृष्ण प्रतिमा खंडित कर दी। इससे पहले सिंध के माल्टी इलाके में 60 हिंदू परिवारों का जबरन धर्म परिवर्तन करवा दिया गया। रहिमयारखान इलाके में एक अल्पसंख्यक किसान परिवार को मस्जिद के नल से पानी पी लेने पर गत 20 सितम्बर को ही यातनाएं दी गई।

उत्पीडऩ का डबल डोज
आंगणवा की विस्थापित बस्ती निवासी हेमजी कोली के अनुसार सिंध में अल्पसंख्यक परिवारों पर पहले से ही स्थानीय कट्टरपंथी कहर ढहा रहे हैं। अब अफगानिस्तान से घुसने वाले लोगों को भी कराची व सिंध के अन्य हिंदू बाहुल्य इलाकों में बसाने की तैयारी की जा रही है। इससे हिंदू परिवारों में भय की स्थिति बन रही है। ये लोग हालात और बिगडऩे से पहले वहां से निकलने की तैयारी में हैं, बशर्ते वीजा मिल जाए और आवागमन के साधन शुरू हो जाए।

नम्बर गेम
90 लाख हिंदू हैं पाकिस्तान में
75 लाख आबादी ताजा जनसंख्या के अनुसार
1000 युवतियों का हर साल अपहरण-जबरन निकाह
8000 से ज्यादा अपहरण के मामले अकेले सिंध में
20 मंदिर ही बचे हैं अब सिंध में
428 मंदिर थे बंटवारे से पहले

पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदूओं के लिए कठिन समय
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन, खासकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों में कथित तौर पर वृद्धि हुई है। इससे पाकिस्तान में प्रगतिशील आबादी बुरी तरह से डर गई है। विशेष रूप से हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक बुरी तरह से डरे हुए हैं। इस भय का एक बड़ा कारण ये भी है कि सत्ता में बैठी पाकिस्तानी ताकतें तालिबान शासन का समर्थन कर रही हैं। ऐसे में पाकिस्तान से बड़ी संख्या में हिंदू परिवार भारत में अपने रिश्तेदारों के संपर्क में हैं ताकि उन्हें इंडियन वीजा प्राप्त करने में मदद मिल सके और वे उस आने वाले कहर से भाग कर निकल सकें।
भारत सरकार को पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठानी चाहिए। साथ ही भारत में रहने वाले विस्थापित परिवारों को पाकिस्तान वापस जाने से बचाने के लिए ठोस उपाए करने चाहिए, ताकि वे पाकिस्तान लौटने के झांसे में ना आएं, क्योंकि पाकिस्तान अब विशेष रूप से अपने अल्पसंख्यकों के लिए लावे की तरह जलने जा रहा है।
-हिंदूसिंह सोढ़ा
अध्यक्ष, सीमान्त लोक संगठन, जोधपुर

Source: Jodhpur

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