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गजेंद्र सिंह दहिया/जोधपुर। मानसून ( Monsoon 2019), पश्चिमी विक्षोभों और उष्ण चक्रवातीय तूफानों ने भारतीय उप-महाद्वीप की जलवायु में बड़े परिवर्तन का संकेत दिया है। मौसम विभाग ( IMD ) के अनुसार गत पांच वर्ष में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाले चक्रवाती तूफानों ( Cyclone ) में 32 फीसदी इजाफा हुआ है। नवंबर के पहले सप्ताह में ही एक साथ 3 चक्रवात क्यार, महा ( Maha ) और बुलबुल ( Bulbul ) आ गए। थार में इस बार मानसून देरी से 2 जुलाई को पहुंचा और 9 अक्टूबर को विदा हुआ। इस तरह मानसून कुल 100 दिनों तक थार में रहा, जो मौसम विभाग के इतिहास में रेकॉर्ड है।

इस साल भूमध्य सागर, केस्पियन सागर से आने वाली हवा (पश्चिमी विक्षोभ) लेटलतीफ हो गई। फरवरी में एक साथ आठ पश्चिमी विक्षोभ आए, जिससे सर्दी 20 मार्च तक खिंच गई। पश्चिम से चलने वाली हवा मई-जून तक चलती रही, जिससे जून में आंधी चल रही थी। इससे मानसून में देरी हो गई। दक्षिणी पश्चिमी मानसून विदा होने से पहले ही उत्तरी-पूर्वी मानसून कारोमण्डल तट पर ऑनसेट हो गया।

सालों बाद फरवरी सर्द, मार्च में मावठ : पश्चिमी विक्षोभ के पैटर्न में परिवर्तन होने से इस बार वर्षों बाद फरवरी का महीना सर्वाधिक सर्द रहा। वर्ष 2008 के बाद सर्वाधिक सर्द रात रही, वहीं 2014 को छोड़ दें तो दस साल में फरवरी का सर्वाधिक सर्द महीना भी 2019 में रहा। मौसम में बदलाव के कारण एक अरसे बाद मार्च में भी मावठ हुई। फरवरी महीने में ही 7 विक्षोभ आ गए। आठवां विक्षोभ 2 मार्च को आया।

10 वर्षों में तूफानों की तीव्रता 11 प्रतिशत बढ़ी
उ त्तरी हिंद महासागर (अरब सागर और बंगाल की खाड़ी) में पिछले 10 साल में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता 11 प्रतिशत बढ़ गई है। दोनों में चक्रवाती तूफानों का औसत क्रमश: 1: 4 है। पिछले सौ साल में अरब सागर में 33 और बंगाल की खाड़ी में 262 चक्रवात आए हैं लेकिन 2018 और 2019 में सात-सात चक्रवाती तूफानों ने वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी है। सात में से छह वैरी सीवियर साइक्लोनिक स्ट्रोम कैटेगरी के थे।

1961 का रेकॉर्ड धराशायी
भारतीय मौसम विभाग ने इस बार नौ अक्टूबर को थार से मानसून की विदाई की घोषणा की। इससे पहले 1961 में एक अक्टूबर को मानसून की विदाई हुई थी। इस साल केरल और राजस्थान में मानसून एक-एक सप्ताह लेट हो गया, जबकि पश्चिमी राजस्थान में 20 दिन देरी से आया।

इस साल के साइक्लोन
01—-पबुक
02—- फानी
03—-वायु
04—-हिक्का
05—-क्यार
06—-महा
07—-बुलबुल

हम पर यह असर
– 1980 के बाद से हैजा के मरीज 3 प्रतिशत बढ़े
– मलेरिया कम हुआ तो डेंगू फैला
– आज पैदा बच्चा 70 साल में 4 डिग्री अधिक गर्मी महसूस करेगा
– बुलबुल तूफान से ही प.बंगाल में 19 हजार करोड़ का नुकसान
– 2050 तक एशिया व अफ्रीका में एक-एक अरब जनता और जुड़ेगी। पेट भरना चुनौती रहेगी।

जलवायु परिवर्तन में तेजी
जलवायु के विभिन्न कारकों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। विश्व को एक साथ बैठकर संकल्प के साथ इससे निपटना होगा।
-डॉ. ओपी यादव, निदेशक, काजरी, जोधपुर

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Source: Jodhpur

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