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बाड़मेर. कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी में खुदरा उर्वरक विक्रय गैर आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। इसमें केन्द्र प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए जैविक कृषि एक रास्ता है जिसके माध्यम से पारिस्थितिकी जैव विविधता आदि का संतुलन किया जा सकता है ताकि आने वाले समय में वातावरणीय परिवर्तन को संतुलित कर सकें।

उन्होंने कहा कि हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ वातावरण को संतुलित रखते हुए उर्वरकों की खपत अनुशंसित मात्रा में करें। डॉ. बाबुलाल जाट ने उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत विभिन्न रासायनिक उर्वरकों के तय मापदंड के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि जिले में लगातार बढ़ रहे कृषि क्षेत्र के साथ-साथ प्रति हैक्टेयर उर्वरक खपत बढ़ रही है, जिसके आने वाले समय में दुष्परिणाम हो सकते हैं। तुरफानखान ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन की महती आवश्यकता है। गंगाराम माली ने भी विचार व्यक्त किए।

Source: Barmer News

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