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जोधपुर. बायोफ्यूल के नाम पर हाई-वे और सडक़ किनारे बिक रहे नकली बायोफ्यूल को लेकर सरकारी मशीनरी उदासीन है। पिछले साल भर में पुलिस ने प्रदेश में नकली बायोडीजल को लेकर 80 एफआईआर दर्ज की, लेकिन अब तक केवल तीन मामलों में ही चालान पेश किया गया। पुलिस नकली बायोडीजल का कोई भी नेटवर्क तोड़ नहीं पाई है। रसद विभाग की कार्रवाई नहीं के बराबर है। उधर, मामले को लेकर राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों और पेट्रोल पंप डीलर्स ने शुक्रवार को जिला कलक्टर इंद्रजीत सिंह से मुलाकात कर दुखड़ा सुनाया। कलक्टर ने जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

प्रदेश में गुजरात से बायोफ्यूल के नाम पर आ रहे पैराफिन और बेस ऑयल पर कार्रवाई का अधिकार रसद विभाग और पुलिस दोनों के पास है। पुलिस हानिकारक और ज्वलनशील पदार्थ को बीच सडक़ पर बेचने और आमजन की जिंदगी खतरे में डालने की धाराओं में आसानी से कार्रवाई कर सकती है लेकिन कुछ मामलों में ही पुलिस ने सक्रियता दिखाई है। रसद विभाग ने तो नहीं के बराबर कार्रवाई की है। जालोर, सिरोही और जोधपुर में कुछ पेट्रोल पंप डीलर ने स्वयं अपने स्तर पर नकली बायोफ्यूल बेचने वालों की गाडिय़ां पकड़ी, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कागजी खानापूर्ति कर ली।

मिलीभगत का संदेह

नकली बायोफ्यूल में कमाई अधिक होने से हर कोई इस धंधे में हाथ आजमा रहा है। अवैध बायोफ्यूल की गाडिय़ां गुजरात से सीधे प्रदेश के हर जिले में पहुंच रही है, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं होने के पीछे पुलिस व तेल माफिया की मिलीभगत का संदेह भी जताया जा रहा है।

Source: Jodhpur

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