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बाड़मेर पत्रिका.
राज्य में जहां कोयले की कमी के कारण विद्युत संकट आ गया है वहीं खनिज के खजाने बाड़मेर ने एक बार फिर राज्य व देश की आसभरी नजर अपनी ओर खींच ली है। भारत सरकार ने बाड़मेर से 35 लाख मैट्रिक टन कोयला सालाना बेचने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए है तो इधर भादरेस पॉवर प्लांट 1080 मेगावाट की क्षमता में से 960 मेगावाट प्रतिदिन कोयले का उत्पादन कर रहा है, जो प्रदेश में नंबर वन पर है। इस प्लांट को चलाने के लिए 30 साल तक कोयला मौजूद है।
बाड़मेर में जालिपा और कपूरड़ी दो लिग्नाइट कोयले की माइन्स से कोयला निकाला जा रहा है जो भादरेस पॉवर प्लांट को पहुंच रहा है। भादरेस पॉवर प्लांट की अभी खपत सालाना करीब 70 लाख मैट्रिक टन की है। भारत सरकार ने कोयले के संकट को भांपते हुए बीते दिनों सालाना खपत का 50 प्रतिशत कोयला बेचने का प्रस्ताव भेज दिया है, जिसको राज्य सरकार की मंजूरी मिलनी है। यह होते ही भादरेस से 35 लाख मैट्रिक टन कोयला बेचा जा सकेगा जो करीब 500 मेगावाट यूनिट बिजली और दे देगा। राज्य में आए विद्युत संकट के लिए यह संकटमोचक का कार्य करेगा।
आरएसएमएम को दे रहा बाड़मेर
बाड़मेर सोनड़ी व थूंबली दो माइंस से करीब 12 लाख मैट्रिक टन कोयला प्रतिवर्ष आरएसएमएम को दे रहा है। इससे प्रदेश में बिजली की खपत हो रह है। गिरल लिग्राइ पॉवर प्लांट की दो इकाइयां बंद पड़ी है,इनको दुरस्त कर चलाया जाए तो जिले से 250 मेगावाट विद्युत उत्पादन और हो सकता है।
तेल के बाद कोयले से राजस्व
बाड़मेर जिले में क्रूड ऑयल के बाद कोयले से राजस्व करीब 100 करोड़ रुपए सालाना राज्य सरकार को मिल रहा है। कोयले का उत्पादन बढ़ाया जाए तो यह राजस्व और भी बढ़ सकता है।
यह है बाड़मेर का सालाना उत्पादन
वर्ष- उत्पादन मैट्रिक टन
2017-18- 6856947
2018-19-6673505
2019-20-5754240
2020-21-671457

Source: Barmer News

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