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जोधपुर।
पहले से पेट्रोल व रसोई गैस की आसमान छूती मंहगाई से त्रस्त जनता को कोरोना काल में बढ़े रेल किराए में भी अब सरकार राहत देने के मूड में नहीं दिख रही है। सरकार पिछले डेढ साल से स्पेशल ट्रेन के नाम पर अधिक किराया वसूल रही है। जबकि अब कोरोना का कहर कम होने के बाद लगभग सभी ट्रेनें पटरी पर लौट चुकी है। सरकार ने एक अक्टूबर को जारी की गई नई समय सारिणी में ट्रेनों को स्पेशल के नाम पर ही चलाने का फैसला जारी रखा, इससे केन्द्र सरकार की यह मंशा साफ जाहिर हो रही है कि सरकार अब किराया कम करने के मूड में बिल्कुल नहीं है। समाज के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति का ध्यान रखने के दावे महज दिखावा ही लग रहा है । सरकार के फैसले गरीब व मध्यम वर्ग दोनों के हित में नहीं दिखाई दे रहे है ।

पैसेंजर ट्रेनों में तीन गुना वसूल रही है न्यूनतम किराया
मेड़ता रोड-रतनगढ़, सूरतगढ़-जयपुर पैसेंजर ट्रेनों का पैसेंजर स्पेशल के नाम पर संचालन हो रहा है। रेलवे इस ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों से पहले न्यूनतम किराया 10 रुपए वसूलता था लेकिन अब स्पेशल के नाम पर तीन गुना ज्यादा किराया वसूल रहा है । मेड़ता रोड से रेण का किराया पहले दस रुपए था जो अब तीस रुपए वसूला जा रहा है ।

हर स्टेशन पर रुकने वाली पैसेंजर ट्रेन को एक्सप्रेस का दर्जा क्यों?
कुछ महीनों पहले कई पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस का दर्जा दिया गया। जिसमें जोधपुर-रेवाड़ी, जोधपुर-हिसार भी शामिल थी। रेल मंत्रालय की ओर से एक आरटीआई के जवाब में पैसेंजर ट्रेन की बताई गई परिभाषा के अनुसार प्रत्येक स्टेशन पर रुकने वाली गाड़ी को पैसेंजर ट्रेन कहते है। यह दोनों ट्रेनें प्रत्येक स्टेशन पर रुकती है तो फि र इन्हें एक्सप्रेस का दर्जा कैसे दे दिया गया यह बड़ा सवाल है ।
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सरकार दौलतमंद लोंगों के लिए वंदे भारत, हमसफ र, तेजस जैसी ट्रेनें चला रही रही है। वहीं गांव, गरीब व मध्यम वर्ग की सुध नहीं ले रही है। कई गांवों के स्टेशनों से ठहराव वापस लिए, पैसेंजर ट्रेनों को स्पेशल व एक्सप्रेस करके किराया बढ़ा दिया। नई ट्रेनों का संचालन भी लम्बे समय से नहीं हो रहा।
डीडी माहेश्वरी, आरटीआई कार्यकर्ता
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Source: Jodhpur

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