जोधपुर. बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व विजयदशमी इस बार सर्वार्थसिद्धि, कुमार एवं रवि योग में में मनाया जाएगा। प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार 15 अक्टूबर को सर्वार्थसिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9.16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रात रहेगा। विजयदशमी को भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध और इसी दिन ही मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का भी वध किया था। इस कारण ही इस दिन भगवान राम के साथ मां दुर्गा के भी पूजन का विधान है। दशहरा पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।
जोधपुर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है दशहरा
जोधपुर में अलग-अलग जगहों पर दशहरे का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जोधपुर में कई जगहों पर दशानन पुतला जलाया जाता है। श्रीमाली गोधा ब्राह्मण दशानन दहन होने के बाद यज्ञोपवीत बदलते है। मेहरानगढ़ में दशहरा दरबार और मुरली मनोहरजी मन्दिर में अश्व, शस्त्र एवं शमी (खेजड़ी) पूजन की परम्परा है लेकिन इस बार भी कोविड गाइडलाइन के कारण सभी कार्यक्रम प्रतीकात्मक होंगे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बंगाली समाज की महिलाओं की ओर से ‘सिंदूर खेलाÓ की रस्म इस बार सामूहिक रूप से नहीं होगी। बंगाली समाज की ओर से दुर्गापूजन उत्सव का समापन भी प्रतीकात्मक रूप में ही किया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार किसी नए काम को शुरू करने के लिए यह दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। दशहरे के दिन नवीन वस्तुएं खरीदने की भी परंपरा है।
दशहरा शुभ मुहूर्त
दशमी तिथि 14 अक्टूबर को शाम 6.52 बजे से प्रारंभ होकर 15 अक्टूबर को शाम 6.02 बजे समाप्त होगी।
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ- 14 अक्टूबर सुबह 9.36 बजे
श्रवण नक्षत्र समाप्त- 15 अक्टूबर सुबह 9.16
पूजन का समय- 15 अक्टूबर दोपहर 2.02 मिनट से लेकर दोपहर 2.48 मिनट तक
मांगलिक कार्यों के लिए शुभ
विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है। इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलदायी माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दशहरा के दिन भवन निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं। विजयादशमी के दिन केवल विवाह संस्कार को निषेध माना गया है।
Source: Jodhpur