जोधपुर. सरकार के निर्देश के बाद जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने मंगलवार को आठ सदस्य कमेटी गठित कर अपनी पहली रिपोर्ट शाम को सरकार को भेज दी। कमेटी ने प्राथमिक तौर पर एमबीएम विश्वविद्यालय को वर्तमान में व्यास विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग फैकल्टी के समस्त विभाग और शिक्षक देने का निर्णय किया है। वर्तमान में संचालित इंजीनियरिंग फैकेल्टी का मुख्य केंपस एमबीएम विश्वविद्यालय का मुख्य कैंपस बन जाएगा। गैर शैक्षणिक कार्यों के लिए जेएनवीयू अपने 10 कर्मचारियों को डेपुटेशन पर एमबीएम विश्वविद्यालय को देगा। सरकार की ओर से हरी झंडी मिलते ही दिवाली बाद एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के मुख्य दरवाजे पर एमबीएम विश्वविद्यालय का बोर्ड लगाया जा सकेगा। हालांकि सरकार को अभी एमबीएम विवि का गजट नोटिफिकेशन भी निकालना है।
राज्य सरकार ने शनिवार को जेएनवीयू को पत्र लिखकर एमबीएम विश्वविद्यालय को जमीन हस्तांतरण के लिए कहा था। मंगलवार को जेएनवीयू प्रशासन ने इसके लिए 8 सदस्य कमेटी गठित की। इसमें तीन सिंडिकेट सदस्य प्रो संगीता लुंकड़, प्रो केआर गेनवा, प्रो शिशुपाल सिंह भादू, विज्ञान संकाय अधिष्ठाता प्रो पवन कसेरा, कला संकाय अधिष्ठाता प्रो केएल रैगर, जेएनवीयू शिक्षक संघ के सचिव डॉ हेम सिंह गहलोत, विश्वविद्यालय के इंजीनियर विनीत गुप्ता और पदेन सचिव के तौर पर रजिस्ट्रार को शामिल किया गया। कमेटी ने मंगलवार दोपहर को ही डेढ़ घंटे तक बैठक करने के बाद अपनी प्राथमिक रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने का निर्णय किया।
कमेटी देखेगी जमीनें, धीरे-धीरे करेगी हस्तांतरित
सारी जमीन जेएनवीयू के नाम है। एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज 1959 में बना था जिसे तीन साल 1962 में जेएनवीयू में शामिल कर लिया गया। वर्तमान में एमबीएम कैंपस के पास रातानाडा में जेएनवीयू के अन्य विभाग भी संचालित हो रहे हैं। ऐसे में धीरे-धीरे करके अन्य जमीनें एमबीएम विवि को दी जाएगी। इसके लिए सिंडीकेट ही प्रस्ताव पास करेगी।
प्लेसमेंट एजेंसी से ले सकेंगे कर्मचारी
वर्तमान में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में बमुश्किल दो दर्जन ही गैर शैक्षणिक कर्मचारी होंगे। शेष कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए लगे हुए हैं। गजट नोटिफिकेशन के बाद एमबीएम विवि प्रशासन भी स्थाई भर्ती होने तक प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए कर्मचारी रख सकेगा।
Source: Jodhpur