रतन दवे
चण्डीगढ़.
पंजाब में परंपरागत जातिगत राजनीति का खेल इस बार उथल-पुथल होने लगा है। सिख और हिन्दू वोट जो कांगे्रस का बड़ा आधार रहे है इसमें सेंध लगाने के लिए अब केप्टिन अमरिंदरसिंह भाजपा की ओर उम्मीद लगाए बैठे है तो इधर नवजोतसिंह सिद्धू जाट सिख वोटों का प्रतिनिधित्व करते है। कांग्रेस पंजाब में चरणजीतसिंह चन्नी को लाकर पहले ही दलित सिख वोट बैंक को खरा कर चुकी है।
भाजपा ने नवा पंजाब भाजपा दे नाल का नारा बुलंद कर इस बार पंजाब की 117 सीट पर प्रत्याशी उतारने का कह रही है लेकिन अकेले भाजपा के बूते यह संघ द्वारिका पहुंचना मुश्किल है। केप्टिन अमरिंदरसिंह कांगे्रस से अलग होने के बाद अब भाजपा से उम्मीद लगाए बैठे है। केप्टिन हिन्दू और जट सिख वोटों के बूते जीते है और अब वे इन्हीं वोटों के साथ में भाजपा के साथ जुड़कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की मजबूत स्थिति में आ सकते है,लेकिन भाजपा- अमरिंदर का गठजोड़ अभी नहीं हुआ है।
कांगे्रस का दलित कार्ड
कांग्रेस ने चुनावों से पहले पंजाब की राजनीति में दलित कार्ड खेल दिया है। दलितों के वोट कांग्रेस के पक्ष में रहे है। दलित वोटों को और मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री चरणजीतसिंह चन्नी को बनाया गया। इससे यह वोट बैंक कांग्रेस के लिए पक्का होता दिख रहा है। दलित वोट बैंक करीब 30 प्रतिशत है जो पहले कांग्रेस के पक्ष में रहा है और अब तो चन्नी आते ही..हुण तो असीं साडे नाळ ही रवांगै का नारा बुलंद किया हुआ है।
सिद्धू और जट सिख ताकत
पंजाब के कुल मतदाताओं का 60 प्रतिशत सिख मतदाता है। जट सिख कांग्रेस के पक्ष में रहे है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू जट सिख होने से कांग्रेस ने अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों को जोड़े रखकर इस गठबंधन को मजबूत तो किया है लेकिन सिद्धू की महत्वाकांक्षी राजनीति ने खलबली मचा रखी है। वे इसी वोट बैंक के बूते खुद को ज्यादा सक्षम मान रहे है। सिद्धू इधर-उधर नहीं होते है तो कांग्रेस के लिए ये दोनों वोट बैंक बड़ी ताकत बन सकते है।
केप्टिन की ताकत हिन्दू व जट सिख
केप्टिन अमरिंदरसिंह की ताकत हिन्दू मतदाता व जट सिख रहे है। केप्टिन भाजपा से इसको लेकर ही उम्मीद लगाए है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर वे कांग्रेस से अलग होकर अब हिन्दू व जट सिख का समीकरण ला सकते है,जो कांग्रेस के मतदाताओं को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा सकते है। पंजाब में अब तक हिन्दू कांग्रेस के साथ रहे है।
आम आदमी की सेंध
आम आदमी ने 2017 के चुनावों में 30 प्रतिशत वोट जट सिखों के हासिल किए जो कांग्रेस से टूटे थे, अब आम आदमी के लिए इस बार दलित वोटों का गणित कमजोर होने लगा है और जट सिखों के अमरिंदर और सिद्धू में बंटवारे की स्थिति है। आम आदमी पार्टी अब ऐसे चेहरे को सामने लाने के लिए विचार में है जो जातिगत वोटों का एक बड़ा खेमा तोड़ सके।
Source: Barmer News