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जोधपुर। अब थार के अनार की चमक विदेशों तक पहुंचेगी। कृषि विश्वविद्यालय में अनार के गुणवत्तायुक्त उत्पादन व निर्यात के लिए फ ायटोसैनेटरी व टिश्यू कल्चर लेब की स्थापना के लिए एपीडा सहयोग करेगा, इससे एनएबीएल प्रयोगशाला स्थापित हो सकेगी। इससे किसानों को निर्यात योग्य अनार में पाए जाने वाले रासायनिक अवशेषों का पता लग पाएगा व निर्यात में आसानी होगी। यह जानकारी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) के अध्यक्ष डॉ एम अंगामुथ्यु ने दी। कृषि विवि, एपिडा व राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि डॉ अंगामुथ्यु ने बताया कि अनार के निर्यात के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं, गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला, कृषकों का प्रशिक्षण व दूसरे राज्य में एक्सपोजर भ्रमण करवाने की सुविधा एपिडा के माध्यम से की जाएगी।

कार्यशाला में वैज्ञानिकों सहित पश्चिमी राजस्थान के 300 अनार उत्पादक किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आए फ ल-सब्जी निर्यातकों ने गैर पारम्परिक कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया । कार्यशााल सचिव व प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ ईश्वर सिंह ने आभार व्यक्त किया।

प्रदेश में 11 हजार हैक्टेयर में हो रही खेती
कृषि आयुक्त डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि प्रदेश में अनार की खेती करीब 11 हजार हैक्टेयर में की जा रही है तथा इसका उत्पादन 77 हजार मीट्रिक टन हुआ है। प्रदेश का 90 प्रतिशत क्षेत्रफ ल बाड़मेर और जालोर जिले में है। इस क्षेत्र का अनार अन्य राज्यों की तुलना में अधिक गुणवत्तायुक्त होता है। राजस्थान की प्रति हैक्टेयर अनार उत्पादकता 07 टन है जबकि देश की उत्पादकता 11 टन प्रति हैक्टेयर है।

एमओयू हुआ
किसानों को निर्यात प्रोत्साहन,अनुसंधान और प्रसार के लिए एपिडा, राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड व कृषि विश्वविद्यालय के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। विवि कुलपति प्रो बीआर चौधरी ने बताया कि इस एमओयू के तहत विवि में एनएबीएल व टिश्यू कल्चर लेब की स्थापना से पश्चिमी राजस्थान के किसानों के उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि ऐसे कई किसान है, जिन्होंने गत वर्ष 1 करोड़ से अधिक का उत्पादन किया है।

Source: Jodhpur

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