रेगिस्तान में एक और चुनौती पर कार्य-
30 करोड़ बैरल तेल का भण्डार शैल चट्टानों में फंसा, अब निकालने की तैयारी
– अवसादी चट्टानों से निकला है अब तक तेल
– केयर्न और हैलीबर्टन कंपनी ने किया समझौता
बाड़मेर पत्रिका.
रेगिस्तान में जमीन के भीतर अब शैल चट्टानों में फंसे क्रूड ऑयल के भण्डार को निकालने की तैयारी हो रही है। करीब 30 करोड़ बैरल के इस भण्डार को केयर्न और हैलीबर्टन कंपनी साझा अन्वेषण से निकालेगी। अबूधाबी(सऊदी अरब) में दोनों कंपनियों ने कान्फ्रेंस में की है। इससे पूर्व तेल अवसादी चट्टानों से निकाला गया है। शैल से अत्याधुनिक तकनीक से तेल निकालना चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
ऑयल एण्ड गैस खोज की अत्याधुनिक तकनीक में बाड़मेर के मंगला ऑयल फील्ड में एनहैंस्ड ऑयल रिकवरी (ईओआर) पॉलीमर प्रोजेक्ट लाकर केयर्न ने यहां ऑयल रिकवरी रेट को बढ़ाया,इसके साथ ही सामने आया कि देश में शैल(चट्टानों) के बीच में भी क्रूड ऑयल के भण्डार है जो करीब 30 करोड़ बैरल के करीब है। इसके लिए अब केयर्न कंपनी ने बाड़मेर के हाइड्रोकार्बन बेसिन में कार्य प्रारंभ करने के लिए हैलीबर्टन कंपनी के साथ एक समझौता किया है। केयर्न पश्चिमी राजस्थान के निचले बाड़मेर हिल (एलबीएच) में यह खोज प्रारंभ करेगा।
इस मामले के बारे में केयर्न ऑयल एंड गैस के सीईओ, प्रचुर साह ने कहा, ऊर्जा पर्याप्तता हासिल करने के लिए, भारत को अपस्ट्रीम एक्सप्लोरेशन में सुधार करना चाहिए, ब्राउन फीलड्स के लिए टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाना चाहिए और शेल जैसे अपरंपरागत ऊर्जा संसाधनों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इस साझेदारी के साथ, हम अपरंपरागत ईंधन के नए युग की खोज के वादे के साथ सर्वोत्तम वैश्विक टेक्नोलॉजी का संयोजन कर रहे हैं। यह साझेदारी उत्पादन क्षमता को 5 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने के हमारे लक्ष्य की दिशा में एक और कदम है।
शैल से चुनौतीपूर्ण कैसे
शैल चट्टानें बारिश कणों के रूप में होती है। इनमें फंसे हुए ऑयल को निकालने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की दरकार रहती है, जो इंजेक्शन रूप से लेकर पॉलीमेर से भी उच्च तकनीक की रहती है। देश में यह पहली शुरूआत होगी।
पायलट ड्रिल्स विकसित करेंगे
बाड़मेर बेसिन में शेल की संभावना का पता लगाने के लिए केयर्न और हॉलिबर्टन पायलट ड्रिल्स विकसित करेंगे। यहां मौजूदा शेल क्षमता 3 अरब बैरल है और इस साझेदारी के साथ केयर्न 30 करोड़ बैरल का भंडार स्थापित करना चाहती है। इस साल की शुरुआत में, केयर्न ने पड़ोसी ऐश्वर्या बाड़मेर हिल (एबीएच) साइट से तेल उत्पादन शुरू करने की भी घोषणा की थी। भारत ने अभी तक व्यावसायिक रूप शैल का उत्पादन नहीं किया है और यह सहयोग उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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Source: Barmer News