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शुक्रिया शुक्रवार: भाजपा+ अकाली+ केप्टन अमरिंदर=राहत
पंजाब में भाजपा अब कदम भी रखेगी और ताल भी ठोकेगी
चण्डीगढ़ पत्रिका.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुनानक जयंती के दिन तीनों कृषि कानून वापिस लेकर पंजाब में भाजपा के कदम रखने और ताल ठोकने की शुरूआत कर दी है। पंजाबी भाजपाई अब तक मुंह लटकाए हुए थे कि लोगों के बीच जाकर बोले तो क्या बोले और आज जैसे ही कृषि कानून वापिस लिया खुशी के मारे उन्होंने जो बोले सो निहाल…वाहे गुरुजी की फतेह…वाहे गुरुजी दा खालसा…कहते हुए यह राहत ली कि अब ताल ठोकने के दिन आ गए है।
पंजाब में बीते दिनों से कांग्रे्रस का बोलबाला चल रहा था। किसानों के आंदोलन के चलते भाजपा के लोगों को तो बैठकें करने दी जा रही थी और न ही प्रचार-प्रसार में दम। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पंजाब भाजपा को राहत मिली। पंजाब में 75 फीसदी किसान और खेती से जुड़े लोग है। किसान के साथ लाले(व्यापारी) भी है,जो खेती किसानी के बूते ही अपना कारोबार चला रहे है। पंजाब के तीनों इलाके मालवा, दोआब और मांझा में भी आधी से अधिक आबादी ग्रामीण और कस्बाई है जो खेती करती है, लिहाजा भाजपा के लिए इतनी बड़ी आबादी को छोड़कर पंजाब में कदम रखना भी मुश्किल हो रहा था।
अब हरीश-गजेन्द्र का मुकाबला
पंजाब की भाजपा व कांग्रेस की राजनीति में इन चुनावों में मारवाड़ का दखल है। कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी है तो दूसरी ओर भाजपा के प्रभारी गजेन्द्रङ्क्षसह शेखावत। हरीश प्रभारी बनाए जाते ही पंजाब में डेरा डालकर बैठे हुए है। कृषि कानून पर भाजपा के दो कदम पीछे होने से उनके लिए यह अच्छा अवसर था, इधर प्रभारी बनाए जाने के बावजूद भी पंजाब में कृषि कानून की वजह से दूर-दूर रह रहे गजेन्द्रसिंह शेखावत के लिए अब नई ऊर्जा के साथ पंजाब में कदम रखने का अवसर आ गया है। ऐसे में अब दोनों मारवाडिय़ों का मुकाबला शुरू होगा।
अकाली-अमरिंदर को भी राहत
भाजपा के साथ गठबंधन में रहे अकाली दल ने कृषि कानून को लेकर ही भाजपा से नाता तोड़ा था लेकिन इसके बावजूद अकाली दल के लिए अकेले दम पर पंजाब में दाल गलना मुश्किल हो रहा था, अब भाजपा ने कृषि कानून वापिस लेकर अकाली दल को राहत दी है कि वो भी अब इस मुद्दे को लेकर अपनी बात रख सकते है। इधर केप्टन अमरिंदर लगातार भाजपा के नेताओं के संपर्क में है,हालांकि उन्होंने अलग पार्टी बना ली है लेकिन अमरिंदर के लिए यह कानून वापिस लेना उनकी चुनावी रणनीति में उम्मीदों के रंग भर गया है।
कांग्रेस की रणनीति बदलेगी
पंजाब में कांग्रेस के लिए अब तक किसान आंदोलन की नाराजगी बड़ा आधार बनी हुई थी लेकिन अब कांग्रेस को नई रणनीति के साथ किसान आंदोलन बाद विपक्षी दलों के बनने वाले नए समीकरण को ध्यान में रखना होगा।

Source: Barmer News

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