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बाड़मेर पत्रिका.
बाड़मेर जिले में सामुहिक व आत्महत्या के मामलों में सर्वाधिक जरिया टांके में कूदकर इहलीला समाप्त करना रहा है। ढाणियों में पानी के लिए बने टांके आत्महत्या की वजह बनने लगे लेकिन इसका उपाय क्या हों, इसको लेकर फिक्र व जुगाड़ तलाशा जा रहा था। प्रशासन ने टांकों में सीढिय़ां या सांकळ लगाने का विकल्प तलाशा जो इतना कारगर नहीं है लेकिन अब एक सरपंच ने टांके पर हैण्डपंप लगाने की पहल कर समाधान की ओर संकेत किया है।
कोसरिया गांव के सरपंच रूगाराम ने अपनी ग्राम पंचायत में मनरेगा में टांके बनने लगे तो इस फिक्र को दिमाग में रखा कि कहीं आत्महत्या की घटनाओं की वजह टांके नहीं बन जाए। इसके लिए उन्होंने टांके पर छोटे हैण्डपंप लगा दिए है और टांके का मुंह हर वक्त ताले से बंद रहता है। हैण्डपंप से सींचकर पानी का उपयोग किया जा सकता है।
कई फायदे एक साथ
– टांका खुला नहीं होने से आत्महत्या की घटना नहीं होगी
– बेसहारा पशुधन भी इस टांका खुला नहीं होने से अंदर नहीं गिरेंगे
– हैण्डपंप लगा होने से पानी भी आसानी से सींचा जाएगा
बाड़मेर में इसलिए जरूरी
– हैण्डपंप होने से राहगीर भी इसका पेयजल के लिए आसानी से उपयोग कर सकेंगे
सौ टांकों पर लगाए हैंडपंप- कोसरिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में सरकारी योजनाओं से बने करीब एक सौ टांको पर निजी खर्च से हैडपम्प लगाये है। एक हैडपम्प पर करीब सत्रह सौ से दो हजार रुपए की लागत आई है।- रूगाराम, सरपंच कोसरिया

सौ टांकों पर लगाए हैंडपंप- कोसरिया ग्राम पंचायत क्षेत्र में सरकारी योजनाओं से बने करीब एक सौ टांको पर निजी खर्च से हैडपम्प लगाये है। एक हैडपम्प पर करीब सत्रह सौ से दो हजार रुपए की लागत आई है।- रूगाराम, सरपंच कोसरिया

Source: Barmer News

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