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बल्र्ब- बाड़मेर शहर के लिए अब जहां हाथ रखो वहां दर्द की स्थितियां है। विकास की डगर पर चढ़ रहे शहर में व्यवस्थाएं बेतरतीब व अस्त व्यस्त है। सुविधाओं के नाम पर हर बार रुपया पानी की तरह खर्च होता है लेकिन फायदा उतना नहीं मिल रहा है। शहर में ऐसे कई स्थान है जिनकी समय पर सार संभाल ले ली जाए तो भी शहर के सौंदर्यकरण को चार चांद लग जाए। चौराहे, तालाब, पार्क, बस स्टेण्ड शामिल है। शहर के कोने-कोने में छोटी-छोटी समस्याओं का समय पर हल नहीं निकलने पर ये सुरसा के मुंह की तरह बड़ी होती जा रही है। प्रदेश में इस बार बाड़मेर को स्टार रैकिंग में तीसरे नंबर पर ले जाने की कवायद नगरपरिषद कर रही है लेकिन यह रैकिंग धरातल पर भी नजर आनी चाहिए। पत्रिका का अभियान आम शहरी को जोड़ते हुए बाड़मेर शहर में विकास की असली तस्वीर उतारने का प्रयास करेगा।
रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
तेल-गैस और खनिज पदार्थ के बूते देश की आर्थिक राजधानी की ओर अग्रसर बाड़मेर जिले का मुख्यालय बाड़मेर शहर में सौंदर्यकरण, स्वच्छता और धरोहरों के संरक्षण को लेकर दावे भले ही खूब किए जाए लेकिन हकीकत अलग है। नगरपरिषद ने गाहे-ब-गाहे चौराहे, तालाब और गलियों में कुछ व्यवस्थाएं की है तो अब उनका रखरखाव करना मुश्किल हो रहा है। कचरा, सिवरेज अव्यवस्था, सड़कें खस्ताहाल होना और बेतरतीब बने बस स्टेण्ड परेशानी का सबब बने हुए है। अतिक्रमण व पार्किंग का अभाव शहर की समस्याओं को और बढ़ा रहे है।
शहर की मुख्य समस्याएं
– पार्किंग जोन नहीं
– दुकानों के आगे अतिक्रमण
– चौराहों की दुर्दशा,नियमित सार संभाल नहीं
– पार्क का अभाव-दो ही पार्क ठीक
– वाकिंग जोन व ट्रेक नहीं
– सफाई इंतजाम कमजोर, सिवरेज फेल
– सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण
– शहर के मुख्य चौराहों पर अतिक्रमण
– अवैध बस स्टेण्ड
– रेलवे स्टेशन और बाजार के सामने अतिक्रमण
– केन्द्रीय बस स्टेण्ड पर असुविधा
– सौंदर्यकरण व लाइटिंग की कमजोर स्थिति
– कॉलोनियों की अव्यवस्थित बसावट
– पुरातन तालाब कारेली, वैणासर, सोननाडी का नहीं रखरखाव
– शहर की धार्मिक व मुख्य सड़कों को लेकर नहीं प्लानिंग
शहर में लंबित है यह योजनाएं
– तिलक बस स्टेण्ड कॉम्पलैक्स
– मल्लीनाथ सर्किल विकास
– आवासीय कॉलोनियां
– चार बस स्टेण्ड
– पार्किंग जोन

Source: Barmer News

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