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बाड़मेर पत्रिका. भीषण गर्मीं ने पक्षियों के जीवन पर संकट ला दिया है। जंगल और गांव में उडऩे वाले पक्षियों को अब पानी नसीब नहीं होने से उनके प्राण पंखेरू उड़ रहे है। पङ्क्षरडे लगाने की परंपरा को जीवित रखने के लिए अब मुहिम की दरकार है।
गोवंश और जानवर
पानी की पीड़ा पक्षियों व छोटे जानवरों को नहीं है। हजारों का गोवंश भी इन दिनों पानी के लिए पीड़ा भोग रहा है। इन जानवरों के लिए कोई इंतजाम नहीं है। बॉर्डर में गोवंश के लिए पानी की आपूर्ति नहीं होने का नतीजा है कि गायों, भैंसों और बड़े जानवरों को पालना अब मुश्किल हो गया है।

चिडिय़ा-कबूतर और पक्षी

घर आंगन में चहचहाती चिडिय़ा कितना सुकून देती है। एक-एक दाना चुनती और फुर्र कर उड़ जाता चिडिय़ा का समूह देखते ही चेहरे पर मुस्कान छा जाती है। यही चिडिय़ा इन दिनों पानी की तलाश में इधर-उधर भटक कर दम तोड़ रही है। इन नन्हें पक्षी को बस कुछ बूंद पानी मिल जा तो ये भीषण गर्मी में प्राण बचा लेगी।

गौरैया के संरक्षण के लिए प्रत्येक तहसील स्तर एवं राजस्व गांव में पक्षी रैन बसेरा विकसित कर उचित सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान किया जाए। यह कार्य सरकार के सहयोग से समय पर हो तभी गौरैया का वजूद बच सकता है। – राकेश चांपाणी, वन्य जीव एवं संरक्षण प्रेमी कुड़ी

आकाश में उड़ान भरने वाले पक्षी पर्यावरण सफाई संतुलन कायम रखने में मदद करते हैं। यदि ये न रहेंगे तो यह संतुलन बिगड़ सकता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पशु-पक्षियों को बचाना अति आवश्यक है। – मानाराम पालीवाल, सरपंच कुड़ी

Source: Barmer News

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