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बाड़मेर .
मजदूर के बेटों को आज भी मजदूरी के लिए मारे-मारे फिरना पड़ता है और मार भी खानी पड़ जाती है। जब भूख और मार से त्रस्त हों तो फिर इनको भूखा सोकर आंसू पीने की नौबत भी आती है और कोई भला आदमी मदद कर दे तो घर तक पहुंच जाते है वरना इनकी ङ्क्षजदगी पता नहीं कौनसी दिशा में जाती है। मजदूरी के लिए पलायन की पीड़ा आज भी कई घरों के चिराग को पेट की आग बुझाने के लिए भटकने को मजबूर कर रही है।

बाड़मेर शहर के रेलवे स्टेशन पर एक किशोर शुक्रवार की रात को यहां लगे एक टैंट में एक ओर सोया हुआ था। उसकी हालत देखकर लग रहा था कि उसको रोटी और आश्रय दोनों की जरूरत है। इस पर चाइल्ड हैल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल किया, जहां से उसको किशोर संप्रेषण गृह में भेजा गया है और परिवार की जानकारी ली जा रही है।

बांसवाड़ा
रेलवे स्टेशन पर मिले इस बेटे की जानकारी पत्रिका को मिलने पर पत्रिका की बांसवाड़ा टीम ने पता किया तो मालूम चला कि परिवार की आर्थिक स्थिति सहीं नही होने से बालक करीब डेढ़ माह पहले घर से रोजगार के लिए निकला था। बालक दसवीं पास है । परिजन स्कूल के लिए भेजते तो वह वापस चला आता। लगातार परिजन स्कूल के लिए प्रयासरत थे। इसी बीच बालक करीब डेढ़ माह पहले राजू नाम के व्यक्ति के साथ रोजगार के लिए गाव से निकल गया था।। सरपंच रमेश बरगोट ने बताया कि पिता चालक का काम करते है। परिजन इस भरोसे है कि बेटा मजदूरी पर गया हुआ है।

मामला दर्ज करवाएंगे
बालश्रम अपराध का मामला है। इसमें बालश्रमिक को मजदूरी करवाने वाले के खिलाफ मामला दर्ज करवाएंगे और परिजनों का पता लगते ही किशोर को सुपुर्द कर दिया जाएगा। आज पता चला तो आज ही सुपुर्द कर सकते है।- चेतनाराम सारण, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति

रेलवे स्टेशन पर किशोर के होने की जानकारी मिली। उसने बताया कि मजदूरी पर सिणधरी गया था, जहां मारा पीटा गया। किशोर को पहले खाना खिलाया और इसके बाद इसको किशोर संप्रेषण गृह को सुपुर्द किया गया है।
महेश पनपालिया, धारा संस्थान

Source: Barmer News

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