बाड़मेर
क्षेत्र के अरणियाली, गोदारों की बेरी, अणदाणियों की ढ़ाणी, चैनपुरा, डबोई व बोर चारणान ग्राम पंचायत क्षेत्र में करीब 15 साल पहले नर्मदा नहर से सिंचाई शुरू हो गई थी। इससे अब यह क्षेत्र एकदम हरा – भरा हो गया है। मौजूदा समय में भीषण गर्मी के इस मौसम में बाड़मेर जिले के अन्य रेगिस्तानी सूखे इलाकों में तापमान 44 डिग्री से भी अधिक मात्रा है। वहीं, इस नमज़्दा नहर क्षेत्र में हरितमा संवर्धन होने के कारण यह क्षेत्र इतना गर्म नहीं है तथा नहीं चलती है।
बारहमास मिलता है मीठा पानी
पहले जहां इस क्षेत्र में भूमिगत जल खारा था। लोगों को पीने के लिए पानी महंगे भावों में टैंकरों से डलवाना पड़ता था। सूखे की स्थिति में सरकारी टैंकरो से आपूर्ति होती थी। अब नर्मदा नहर के कारण कूंओं में जल स्तर भी बढ़ गया है। बारहमास पीने को मीठा पानी मिल रहा है।
अनाज व चारे की समस्या से निजात
पहले जहां इस क्षेत्र में पानी के अभाव में उपज कम होने के कारण खाने के लिए अनाज व पशुओं के चारे के लिए बाहर से मंगवाना पड़ता था।अब इस क्षेत्र में खरीफ व रबी दोनों फसलों के उपज से इतना अनाज व चारे का उत्मादन होता है कि यहां के किसान चारे व अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन गए है।
गर्मी में लहलहा रहा बाजरा
क्षेत्र में जायद की फसल बाजरा व पशुओं के लिए रिजका इस तपती गर्मी में भी है। भीषण गर्मी में पैदा होने वाली बाजरे और बहुतायत तादाद में पनपे झाड़ झंखाड़ व पेड़ोंं से इतनी छाया मिलती है कि यहां गर्मी में भी ठण्डा मौसम लगता है।
फेक्ट फाइल
नर्मदा नहर
-कुल लंबाई- 458 किलोमीटर
– मुख्य नहर की लम्बाई-74 किलोमीटर
– माइनर की लम्बाई 1719 किलोमीटर
– बाड़मेर जिले के 874 गांव
– राजस्थान कुल क्षेत्रफल 2.46 लाख हैक्टर
– प्रोजेक्ट में कुल 3124 करोड़ रूपये का बजट खर्च
– कुल 12 वितरिकाए
– राजस्थान को 1500 क्युसेक पानी मिल रहा
महंगी होती नर्मदा
– वर्ष 1993-94 में प्रारंभ किया गया, परियोजना की प्रारंभिक लागत 467.58 करोड़
– वर्ष 2006 में संशोधित कर 1541.36 करोड़ रुपए की हुई
– वर्ष2010 में 2481.49 करोड़ रुपए लागत आंकी
– वर्ष 2017 में 3124.00 करोड़ रुपये की लागत का तीसरा संशोधन
– अब तक 3049.47 करोड़ रुपये का व्यय
क्यों हो रही देरी
बजट के अभाव में हर साल नर्मदा के प्रोजेक्ट को आगे से आगे बढय़ा जा रहा है। 31 मार्च 2021 को इसका पूर्ण करने का लक्ष्य था, जो अब आगे बढ़ा दिया गया है। पेयजल के लिए अब रामसर कस्बे तक पानी पहुंचे हुए करीब 8 माह हो गए है लेकिन अंतिम छोर के गांव अभी भी तरस रहे है।
Source: Barmer News