बाड़मेर. नगर परिषद ने शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में थ्री स्टार के लिए आवेदन किया है। धरातल पर जिम्मेदार देखने जाए तो शहर की गलियों में जगह-जगह बड़े-बड़े डंपिंग स्टेशन मिल जाएंगे, जहां पर पूरे दिन कचरा सड़ता है और आसपास रहने वालों का जीना मुहाल है।
थ्री स्टार रेटिंग के लिए बाड़मेर शहर पहली अनिवार्यता भी पूरी नहीं कर पा रहा है। यह है 100 फीसदी घर-घर कचरा संग्रहण। यहां पर अभी भी गली-मोहल्लों में लोग डंपिंग स्टेशन पर कचरा डालते है। यह सिलसिला पूरे दिन चलता है। अब जहां पर गली में डंपिंग स्टेशन स्थायी हो चुके है, वहां पर 24 घंटे कचरा फैला रहता है और पूरे क्षेत्र में बिखर जाता है। जबकि नियम यह है कि जहां पर ऐसी स्थिति बनती है तो वहां पर बड़े बिन रखे जाए और कचरा उसमें डालने के लिए लोगों से समझाइश की जाए। लेकिन यहां शहर के डंपिंग स्टेशन पर कहीं बिन दिखाई नहीं देते हैं।
गीला-कचरा एक साथ हो रहा एकत्रित
सर्वेक्षण में अनिवार्यता यह भी है कि डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग होना चाहिए। वाहन में भी दो बॉक्स होने जरूरी है। जिस पर सूखा और गीला कचरा लिखा हो और लोग भी अलग-अलग कचरा डाले। जबकि इस शर्त में भी बाड़मेर शहर में कचरा एकत्रित करने वाले टिपर में एक ही बॉक्स है। उसी में गीला और सूखा कचरा भर दिया जाता है।
मुख्य मार्ग चमकाया तो गलियों में क्यों पसरा कचरा
दिखावे के लिए शहर के मुख्य मार्गों को चमकाया जाता है और गलियों में कचरा पूरे दिन पड़ा रहता है। डंङ्क्षपग स्टेशनों पर पूरे दिन लोग कचरा पड़ रहता है। 24 घंटों में एक बार यहां से कचरा उठाने के लिए वाहन दोपहर बाद पहुंचता है। इससे पहले लोग यहां बदबू भरे माहौल में जीने को मजबूर है।
आदेश के बाद भी रात्रि सफाई व्यवस्था लागू नहीं
पूर्व में जिला कलक्टर ने रात्रि में सफाई व्यवस्था लागू करने के आदेश किए थे। लेकिन यह व्यवस्था लंबे समय बाद भी लागू नहीं हुई है। जबकि कुछ सालों पहले बाड़मेर शहर में रात्रिकालीन सफाई होती थी। अब सुबह सफाई होने पर सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों और सुबह की सैर को जाने वालों को होती है। सड़कों की सफाई के दौरान उडऩे वाली धूल-मिट्टीे से लोग बेहाल दिखते है। सुबह की सैर वालों की हालात ज्यादा खराब हो जाती है, जो ताजी हवा के लिए किसी पार्क में जाने से पहले यहां पर प्रदूषण और धूल-मिट्टी से पहले सामना करना पड़ता है।
रविवार को यहां सफाई की छुट्टी
नगर परिषद क्षेत्र में रविवार को सफाई और कचरा उठाने की छुट्टी रहती है। इस दिन डंपिंग स्टेशनों वाले गली-मोहल्लों की हालात बयां करने की जरूरत नहीं है। सहज ही समझा जा सकता है कि डंपिंग स्टेशनों के पास रहने वालों की स्थिति क्या होती होगी। इस बीच शादी-समारोह या अन्य कोई आयोजन हो जाए तो आयोजकों के लिए सफाई करवाना भारी पड़ जाता है। रविवार को पूरा शहर गंदगी से सड़ता है।
सफाई व्यवस्था की पोल खोलते दो उदाहरण
1-पुष्करणा समाज भवन के पास
शहर के पॉश इलाके रॉय कॉलोनी का एक हिस्सा कृष्णा नगर, यहां पुष्करणा समाज भवन के ठीक पास में डंपिंग स्टेशन है। भवन के पास की गली में राधा-कृष्ण मंदिर है। जहां पर सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है। लेकिन यहां डंपिंग स्टेशन के फैले कचरे से होकर निकलने श्रद्धालुओं की भी मजबूरी है। सुबह दर्शन के लिए आने-जाने वाले लोग यहां से बड़ी मुश्किल से निकल पाते है। डंपिंग पर कोई कचरा पात्र नहीं रखा है। खुले में पड़ा कचरा पूरी गली में फैलता है।
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2- गल्र्स कॉलेज के नजदीक
शहर की पीजी गल्र्स कॉलेज के ठीक पास में मुख्य रास्ते पर डंपिंग स्टेशन बना हुआ है। इस मार्ग पर कॉलेज के साथ कई स्कूल भी है। जहां पर पूरे दिन आवाजाही रहती है। पास में ही रहवासीय घर है। यह प्रमुख रास्ता है, डंपिंग स्टेशन होना ही नहीं चाहिए। लेकिन यहां पर सालों से कचरा डाला जा रहा है। इस स्टेशन से कई बार कचरा पड़ा ही रहता है और कई-कई दिनों तक नहीं उठाया जाता है। कॉलेज और आसपास के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की सेहत पर इसका खराब प्रभाव पड़़ता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
Source: Barmer News