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बाड़मेर पत्रिका
नगरपरिषद क्षेत्र बाड़मेर में साठ बसों के संचालन का परमिट परिवहन विभाग ने जारी कर रखा है। कागजी घोड़ों पर यकीन करें तो ये साठ बसें नगरपरिषद क्षेत्र बाड़मेर में संचालित हो रही है। हकीकत यह है कि परिषद क्षेत्र में एक भी बस का संचालन नहीं हो रहा है। फर्जीवाड़े के इस खुले खेल में अहम सवाल यह है कि आखिर इन साठ बसों का संचालन कहां हो रहा है? फिर इन बसों के परमिट नगरपरिषद क्षेत्र में संचालन के लिए ही क्यों लिए गए हैं? बसों का संचालन कहां हो रहा है, यह तो जांच का विषय हैं, लेकिन नगरपरिषद क्षेत्र का परमिट लेकर अन्यत्र बसों का संचालन करने का सीधा-सा उद्देश्य टैक्स चोरी कर सरकार को चूना लगाना है। हैरत की बात यह है कि खुलमखुल्ला हो रहे इस फर्जीवाड़े से जिम्मेवार अधिकारी अनजान बने हुए हैं और कह रहे हैं कि हम इसकी जांच करवाएंगे।
सांसियों का तला से डाइट
साठ बसों को जो परमिट जारी किया है, उनका रूट सांसियों का तला से डाइट, रेलवे कुंआ नम्बर तीन से कड़ला फांटा इत्यादि दर्शाया गया है। यह रूट नगरपरिषद के पेराफेरी बेल्ट में आता है। इन रूट पर आज दिन तक एक भी यात्री का संचालन शहर की डेढ़ लाख आबादी में से किसी ने नहीं देखा, न ही किसी ने नगरीय परिवहन सेवा की बस में सफर किया।
1,80,000 की जगह 10,000
नगरीय सेवा में यदि किसी बस का परमिट लिया जाता है तो परमिटधारक को सालाना दस हजार रुपए टैक्स देना पड़ता है, लेकिन यदि यही परमिट इस क्षेत्र से बाहर लिया जाता है तो महीने का टैक्स पंद्रह हजार रुपए बनता है। साल भर में टैक्स का आंकड़ा 1 लाख 80 हजार रुपए हो जाता है। वास्तविकता यह है कि नगरीय सेवा का परमिट लेकर इन बसों का संचालन लम्बे ग्रामीण रूट में किया जा रहा है। इससे सरकार को प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ रूपए से अधिक घाटा हो रहा है।
नगरीय सेवा की बसों का संचालन मेरे ध्यान में नहीं है। इस मामले में परिवहन विभाग वाले ही बता सकते हैं। -दीपक मीणा, पुलिस उप अधीक्षक यातायात बाड़मेर
नगरीय क्षेत्र में साठ बसों के परमिट जारी हो रखे हैं। जिन बसों के परमिट जारी हुए हैं, वे कहां संचालित हो रही है, इसकी पड़ताल कर रहे हैं। यातायात प्रबंधन समिति के निर्देशानुसार पुलिस के साथ मिलकर हम अभियान चला रहे हैं और नियमानुसार कार्रवाई कर जुर्माना वसूल कर रहे हैं। -संजीव चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी बाड़मेर
डीटीओ की रिपोर्ट पर परमिट
बाड़मेर शहर में नगरीय सेवा की बसों का परमिट डीटीओ की रिपोर्ट के आधार पर जारी होता है। कितनी बसों का स्कोप है और कितने परमिट जारी हो रखे हैं, इसकी जांच करवाएंगे। यदि बसों का संचालन नहीं हो रहा है, डीटीओ से जांच करवाकर परमिट निरस्त किए जाएंगे। -रामनारायण बडग़ुजर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जोधपुर

Source: Barmer News

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