Posted on

बाड़मेर पत्रिका.
जिस दिन से यह पता चला था कि बेटा बाड़मेर में भूखा है मां-बाप के गले से निवाला नहीं उतर रहा था। गरीब पिता अपने बेटे को लेने के लिए बाड़मेर निकल पड़ा और जब बुधवार को यहां पहुंचकर बेटे को सामने देखा तो दोनों की आंखे डबडबा गई। पिता ने अधिकारियों से कहा-यही तो मेरी कमाई है, आपका शुक्रिया आपने मेरी दुनियां लौटा दी।
बांसवाड़ा के धनोड़ा इलाके का एक किशोर बाड़मेर में मजूदरी के लिए आया था और यहां वह रेलवे स्टेशन के पास भूखा सो रहा था। इस किशोर को चाइल्ड हैल्पलाइन की सूचना पर किशोर संप्रेषण गृह में बाल विकास समिति की सिफारिश पर रखा गया।

पत्रिका ने परिवार तक बात पहुंचाई
बाड़मेर पत्रिका ने बांसवाड़ा पत्रिका टीम के माध्यम से परिजनों तक इस बात को पहुंचाया और पत्रिका के 30 अप्रेल के अंक में बाड़मेर में जो भूखा सो रहा था…वह बांसवाड़ा का बेटा शीर्षक से प्रकाशित समाचार में मानवीय कथा को दर्शाया गया।
परिवारजनों को बंधी आस
बेटे के बारे में पत्रिका से मिली जानकारी बाद माता-पिता को आस मिली कि उनका बेटा सुरक्षित है। उसे तत्काल कैसे लाया जाए इसके लिए पत्रिका के संपर्क में आए। जहां पत्रिका ने चाइल्ड हैल्प लाइन व संंबंधित संस्थान के प्रतिनिधियों से संपर्क करवाया।

पिता-पुत्र हुए बांसवाड़ा रवाना
यहां बुधवार को पिता-पुत्र ने पहले किशोर संप्रेषण गृह में कागजी कार्यवाही पूरी की और इसके बाद पुत्र को पिता को सुपुर्द किया गया। जहां से दोनों खुशी-खुशी बांसवाड़ा रवाना हुए।

पत्रिका ने एक पाकिस्तानी किशोर को भी भेजा था
गौरतलब है कि किशोर संप्रेषण गृह में एक पाकिस्तानी किशोर भागचंद भी सजा पूरी होने के बाद रह रहा था। पत्रिका ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय तक ठोस पैरवी की। इस किशोर की भी वतन वापसी पाकिस्तान के लिए हुई थी।

पिता के साथ भेजा
सारे कागजात और तस्दीक करने के बाद में पुत्र को पिता को सुपुर्द किया गया है। दोनों रवाना हुए है।- महेश पनपालिया, निदेशक चाइल्ड हैल्प लाइन बाड़मेर

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *