Posted on

सरहदी बाड़मेर जिले में एक मां है जिसका बेटा पाकिस्तान की जेल में है और करीब अठारह माह से यह मां दिन गिन-गिनकर अंगुलियों के पौर घिस चुकी है। विधायक, सांसद, गृहमंत्रालय और भारत की संसद तक उसकी पीड़ा पहुंच चुकी है लेकिन उसके बेटा पाकिस्तान की जेल से छूटकर घर नहीं आया है।

आश्वासन, भरोसे, विश्वास और सरकारी नुमाइंदों के बंधाए विश्वास के सहारे जी रही मां अब अंदर से टूट रही है। वह रात को नींद से अचानक जागती और पूछती है…गेमरा आया क्या? वह दिन में खुद ही बड़बड़ाने लग जाती है कि वह कब आएगा। पिता बेटे के वियोग में चल बसे और अब मां सवाल करती है…मैं देख पाऊंगी जीते जी…।

यह है मामला
कुम्हारों का टिब्बा (सज्जन का पार) का गेमराराम बदहवासी में 4 नवंबर 2020 को तारबंदी लांघकर पाकिस्तान चला गया था । सबसे पहले पत्रिका ने मामला उठाया और बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और लोग साथ हुए लेकिन गेमराराम की वतन वापसी नहीं हो पाई है।

सरहद से संसद तक गूंजा
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, पूर्व सांसद मानवेन्द्रसिंह, पूर्व विधायक तरूणराय कागा ने पैरवी की। नागौर सांसद हनुमान बेनिवाल ने संसद में मामला उठाया। कैलाश चौधरी व मानवेन्द्रसिंह ने पाकिस्तान तक पैरवी की है, लेकिन अब सजा पूरी होने के दो माह बाद भी उसकी वतन वापसी नहीं होने से गेमरा की मां की चिंताएं बढ़ गई है।

मां क्या कहती है सुनो
उम्र के पैंसठवे पड़ाव में पहुंची गेमराराम की मां अमकूदेवी की आंखों की रोशनी धीमी पडऩे लगी है । बेटे के वियोग में अब आंखों के आंसू भी रीत चुके हैं। डबडबाई आंखों से वह हर किसी से अपने बेटे की घर वापसी की गुजारिशें करती नहीं थकती। वह कहती है अब इंतजार नहीं होता, इस देश का कोई तो नेता अफसर मुझे पक्का विश्वास दिलाए कि कब आएगा मेरा गेमरा….।

पिता वियोग में चल बसा
गेमराराम के पिता ने उसके पाकिस्तान जाने के बाद खाट पकड़ ली और इसकी वियोग में चल बसे। मां कहती है…बाप को तो बेटे का कंधा नसीब नहीं हुआ, मुझे जीते जी मेरा बेटा ला दो।…हूं तो मोहंडो देखां जद जाणां म्हारो दीकरो घरे आयो है…(मैं तो चेहरा देखू उस दिन समझूंगी कि मेरा बेटा आया है)

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *