बालोतरा .
गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना में अपना एक छोटा घर बनाने की आस जगी लेकिन इन दिनों बजरी के दामों में लगी आग ने इस पर भी ब्रेक लगा दिया है। आवास के लिए सरकार 1.50 लाख रुपए दे रही है लेकिन बजरी 40 हजार रुपए की खर्च होने लगी है।
प्रदेश के नदी-नालों से बजरी खनन से रोक हटने को 7 माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन जिले की लूणी नदी में सरकार की ओर से स्वीकृत पचपदरा, सिणधरी व गुड़ामालानी तहसील में आवंटित बजरी लीज से बजरी का खनन अभी तक शुरु नहीं हुआ है। सात माह से बजरी का खनन बंद होने से सरकारी व निजी क्षेत्र के लाखों निर्माण अटके हुए है।
पंचायतीराज के एक लाख कार्य अटके-
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत व अन्य योजनाओं में स्वीकृत लाखों निर्माण कार्य रुके है। जिले में वर्ष 2021-22 में स्वीकृत 40 हजार व 2017 से 2021 तक लंबित 10 हजार आवास में से इस साल में केवल 1300 आवास ही पूर्ण हुए है, शेष स्वीकृत आवासों का कार्य स्वीकृत ही नहीं हुआ है। इनके अलावा मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत 55 हजार व्यक्तिगत टांकों का कार्य भी अब तक बजरी की कमी के चलते अधूरा पड़ा है।
वीसी में बीडियो-वीडियो ने बजरी कमी का जिक्र किया-
पीएम आवास व अन्य योजनाओं में स्वीकृत कार्यों की समीक्षा के लिए आयोजित जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अ धिकारी की ओर से ली गई वीसी में भी विकास अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारियों ने बजरी की कमी के कारण कार्यों के प्रभावित होने का जिक्र किया था।
गांवों में 50 हजार में पहुंचते है बजरी के डंपर-
गिड़ा, पाटोदी, कल्याणपुर, बायतु पंचायत समिति के कई गांवों की सीमा जैसलमेर जिले से लगती है, उन गांवों की दूरी जालोर से 250 से 300 किलोमीटर है, इन गांवों में जालोर से आने वाली बजरी के प्रति डंपर 40 से 50 हजार रुपए में पहुंच रहे है। ऐसी हालत में ग्रामीणों ने सरकारी कार्यों में रूचि लेना ही बंद कर दिया। पीएम आवास के लिए सरकार की ओर से लाभार्थी को 1.50 लाख रूपए दिए जाते है।
व्यू- गांव में बजरी डंपर के 50 हजार रूपये तक लिए जा रहे है, ऐसे में बजरी मंगवाना हमारे बस की बात नहीं रही है। बजरी के अभाव में अ धिकांश काम बंद ही पड़े है। – धर्मेन्द्र कुमार, मुकनगढ़ खोखसर
बजरी के दाम बहुत अ धिक बढ़ जाने से लोग आवास व टांकों का कार्यं नहीं करवा रहे है। गांव में बजरी डंपर के 40 हजार रूपए मांग रहे है, लोग कहते है कि बजरी के 40 हजार देंगे, बाकी काम कैसे करवाएंगे।- सकीना बानो, सरपंच केसुंबला भाटियान
पीएम आवास व टांकों के करीब एक लाख कार्य बाकी पड़े है। कार्यों के रूकने की मुख्य वजह बजरी की किल्लत है। गांवों में बजरी के दाम पहले से चार से पांच गुना अ धिक बढ़ गए है।
Source: Barmer News