Isab Industry – अमित दवे/जोधपुर। देश में ईसब का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार करीब 8 लाख बोरी कम हुआ है। उत्पादन कम व मांग ज्यादा होने के कारण भावों में तेजी बनी हुई है। इसके बावजूद निर्यात के लिए विदेशी मांग लगातार बढ रही है। इस वर्ष मार्च में बढ़ते तापमान की वजह से उत्पादन कम हुआ है। प्रोसेसिंग प्लांट नगण्य होने की वजह से प्रदेश का ईसबगोल गुजरात (विशेषकर ऊंझा मंडी) जाता है। इस बार उत्पादन कम व मांग ज्यादा होने की वजह से भाव बढ़े हुए है और किसानों को भी अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन गुजरात के प्रोसेसिंग प्लांट व मिल संचालकों ने ग्रुप (कार्टेल) बनाकर गुजरात भेजे जा रहे प्रदेश की ईसबगोल के भाव नीचे लाने के उद्देश्य से ईसब खरीदना बंद कर दिया। जोधपुर जीरा मंडी में जहां 4 अप्रेल को ईसब 10200 -12400 रुपए प्रति क्विंटल रहा, वहीं 10 मई को भाव 13211-15500 रुपए प्रति क्विंटल बिका है।
देश में सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में
देश में ईसबगोल का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में होता है। राजस्थान में कुल उत्पादन का करीब 80 प्रतिशत होता है। जबकि शेष गुजरात व मध्यप्रदेश में हो रहा है।
विदेशों में हर साल बढ़ती रहती है डिमाण्ड
प्रोसेसिंग के दौरान सबसे पहले ईसब सीड की क्लिनिंग की जाती है। बाद में, सीड का सोरटैक्स व ग्राइंडिंग की जाती है, जिससे भूसी निकलती है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल होती है। भूसी की क्लिीनिंग कर इसके उत्पादों को विदेशों में निर्यात किया जाता है। ईसब की भूसी के उत्पादों की विदेशों में बहुत डिमाण्ड रहती है, जो हर वर्ष 5-10 प्रतिशत तक बढ़ती रहती है। देश से ईसब अमरीका सहित 20 से अधिक देशों में निर्यात हो रहा है।
इस वर्ष उत्पादन ( लाख बोरियों में )
राजस्थान— 17 लाख
मध्यप्रदेश– 2.5 लाख
गुजरात—- 1.5 लाख
फैक्ट फाइल
– 200 करोड़ का निर्यात होता है हर साल
– 80 फीसदी उत्पादन होता है राजस्थान में, शेष गुजरात व मध्यप्रदेश में
– 8 किलो प्रति हेक्टयर में होता है उत्पादन
– 10 से ज्यादा रोगों में है फायदेमंद
स्वच्छ परम्परा नहीं
ईसब की मांग व सप्लाई में अंतर को देखते हुए इस बार नए भाव बनाएगा। गुजरात में किसानों के साथ कार्टेल बनाकर व्यापार किया जा रहा है, वह ईसब व्यापार के लिए स्वच्छ परम्परा नहीं है।
– पुरुषोत्तम मूंदड़ा, अध्यक्ष, जोधपुर जीरा मंडी व्यापार संघ
ऊंझा में कार्टेल नहीं
ऊंझा मंडी में कार्टेल बनाकर व्यापार नहीं किया जा रहा है। यहां किसान सर्वोपरि है, उसको उपज के पूरे दाम मिल रहे हैं। पहले जिन्होंने कार्टेल बनाकर काम किया, वो यहां से बाहर हो गए।
– दिनेश पटेल, चेयरमैन, एपीएमसी ऊंझा मडी
Source: Jodhpur