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बाड़मेर .
अग्निपीडि़तों को सहायता में देरी के मामले का पट खुलने लगा है तो अब आंकड़ा 600 से बढ़कर 1300 के करीब हो गया है। यह सारी अर्जियां पोर्टल पर पड़ी थी लेकिन पटवारी और तहसीलदार को खबर ही नहीं ली। न ही जिला स्तर के अधिकारियों ने इस ओर झांका। अब प्रकरण बढ़कर भेजे जाने के बाद एक-एक का जवाब दिया जा रहा है। इधर तहसीलदारों को जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किए जा हरे है।
2017 से 2022 तक के अग्निप्रकरणों की संख्या 2400 है और इसमें से 1300 के करीब परिवारों को सहायता नहीं मिली है। दरअसल में इन परिवारों ने सरकारी नियमों की पालना के अनुरूप घटना को पोर्टल पर डालकर यह मान लिया कि अब उनको सहायता राशि मिल जाएगी। इस पोर्टल को पटवारियों ने देखा ही नहीं। पटवारी अब यह कह रहे है कि उन्हें मालूम ही नहीं था कि वे इस लिंक से जुड़े हुए है। तहसीलदार भी यही कहकर कन्नी काट रहे है। इधर जिला स्तर के अधिकारी जिनके पास इस पोर्टल के जरिए डाटा आता है वे भी अब इधर-उधर झांकने लगे है कि इसका जवाब क्या दिया जाए?
कलक्टर ने सारे प्रकरण खंगलवाए
जिला कलक्टर ने इस मामले में पुराने सारे प्रकरणों को खंगलवाया तो सामने आया कि 600 नहीं यह संख्या करीब 1300 के करीब पहुंच रही है। अभी सारे तहसीलदारों को जवाबदारी दी गई है कि एक-एक प्रकरण की जानकारी को अपडेट करें और इसको जयपुर भेजा जाए। यह जानकारी के साथ यह अवश्य लिखे कि किस जिम्मेदार ने यह गलती की है और इसकी वजह क्या रही है?
हमारा क्या कसूर, हमें क्यों रखा वंचित
सरकारी प्रक्रिया में फंसे इन अग्निपीडि़तों का कहना है कि उनका तो कोई कसूर ही नहीं है। फिर उनको क्यों वंचित रखा जा रहा है। अब कब तो एक-एक प्रकरण पुन: पहुंचेंगे और कब यह राशि जारी की जाएगी।
अन्य योजनाओं को जांचने के निर्देश
जिला कलक्टर ने मुख्यमंत्री सहायता योजना सहित अन्य ऐसी सभी योजनाएं जिसमें पोर्टल पर सूचना अपलोड करने पर सहायता मिलती है, सभी की जांच करवाने के लिए लिखा है। आशंका है कि मुख्यमंत्री सहायता योजना में भी इसी तरह अर्जियां अटकी हुई पड़ी है।

Source: Barmer News

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