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बाड़मेर.
कोरोना के तीन साल में बच्चों में कुपोषण का ग्राफ बढ़ गया है। 250 बच्चे प्रारंभिक जांच में जिलेभर में कुपोषित आए है और यह संख्या इससे कई गुणा होने की आशंका है। इसके लिए अब हर आंगनबाड़ी केन्द्र पर बच्चों की जांच होगी और कुपोषित बच्चों के इलाज और पोषण की योजना बनाई जाएगी।
कोरोना के तीन सालों में गरीब परिवारों की हालत पतली हो गई। इन परिवारों को मेहनत मजदूरी के साथ बच्चों को पालना मुश्किल हुआ। आंगनबाड़ी केन्द्र और सरकारी स्कूलों में मिलने वाला पोषाहार भी बंद होने का नतीजा रहा है जिले में कुपोषण का ग्राफ बढऩे लगा है । जिले में पहली जांच में सामने आया कि 250 से अधिक बच्चे कुपोषित है। इसके अलावा कमजोर बच्चों की संख्या हजारों में है।
जिलेभर में चलेगा अभियान
यह आंकड़ा सामने आने के बाद जिले के सभी करीब 4000 आंगनबाड़ी केन्द्रों में सभी बच्चों की जांच होगी। जिसमें उनके कुपोषण,अतिकुपोषण और खून की कमी के आंकड़े सामने आएंगे। प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र पर यह जांच 15 दिन में पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है।
चिकित्सक देंगे परामर्श
जिले में चिकित्सकों की एक टीम गठित की जाएगी जो कुपोषित आने वाले बच्चों के उपचार के लिए कार्य करेगी। यह टीम लगातार दवा देने के साथ ही इनके पोषण के लिए भी सलाह देगी और इस आधार पर बच्चों का लगातार ध्यान रखकर कुपोषण की स्थिति से बाहर लाया जाएगा।
बालोतरा-सिवाना क्षेत्र में ज्यादा
कुपोषण के आंकड़े में बालोतरा व सिवाना के इलाके में ज्यादा बच्चों की आशंका है। बाड़मेर और बायतु क्षेत्र के इलाकों में संख्या कम आई है लेकिन यह वृहत्त जांच नहीं मानी गई है। इसलिए दुबारा जांच करवाई जाएगी।
इधर महिलाओं की खून जांच होगी
कोरोनाकाल में महिलाओं में खून की कमी का आंकड़ा भी बढ़ा है। हिमोग्लोबिन 7 से कम होने का आंकड़ा होने की स्थिति में आंगनबाड़ी के जरिए दवा, अतिरिक्त पोषण देने की जरूरत रहेगी। इसकी जांच भी करवाई जाएगी।
बच्चों की सेहत के लिए कार्य करेंगे
बच्चों की सेहत के लिए कार्य किया जाएगा। कुपोषित बच्चों की जांच दुबारा करवाकर जितने भी बच्चे कुपोषित आएंगे उनकी एक सूची बनाकर उनकी मॉनीटरिंग कर कुपोषण से बाहर लाया जाएगा। इसकी तैयारियां की जा रही है।- लोकबंधु यादव, जिला कलक्टर

Source: Barmer News

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