बाङमेर. प्रदेश के बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, हनुमानगढ़़, सीकर, झुंझुनूं, चुरू जिलों में आगामी दिनों में करीब पांच लाख जाळ के पौधे लगाए जाएंगे।
पर्यावरण चेतना यात्रा ने रेगिस्तान के सबसे दीर्घजीवी, मजबूत और जैव विविधता का आधार जाळ के पेङ के पांच लाख पौधे लगाने की मुहिम चलाने का निर्णय किया है। इसके लिए बाङमेर जिले में इस बार पीलुओं की बहार आने से बीज एकत्रित किए गए हैं।पारिवारिक वानिकी मुहिम के जिला संयोजक भेराराम आर भाखर ने बताया कि रेगिस्तान जिलों में मरुस्थलीकरण रोकथाम और पर्यावरण संरक्षण के लिए जाळ का पेङ बहुपयोगी है। बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ, सीकर, झुंझुंनू , चुरू, जैसलमेर जिलों में जाळ के पेङ नगण्य है। पिछले सालों से चलाई जा रहीं घर-घर सहजन व खेत-खेत खेजङी मुहिम को जारी रखते हुए इस साल गांव-गांव जाळ मुहिम के तहत इन सात जिलों में जाळ के पौधे लगाकर आमजन को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही एक लाख केर के पौधे तैयार कर लगाए जाएंगे।
लैण्ड फाॅर लाइफ अवार्ड प्राप्त प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्यांणी के मार्गदर्शन में पारिवारिक वानिकी कार्यकर्त्ताओं और शिक्षक संघ प्रगतिशील से जुङे शिक्षकों के सहयोग से जन-जन तक पेड़ लगाने के संदेश को पहुंचाया जा रहा है।सात लाख बीज एकत्रित:
भाखर ने बताया कि प हितेंद्र कुमार ढाका, रमेश गोदारा, सबीरखान आरीसर व भीमाराम भील, लक्ष्मणराम भाखर, खरथाराम सियाग, गनीखान हालेपोतरा, भगाराम सियाग के सहयोग से जाळ के सात लाख बीज ( गुठली ) एकत्रित किए हैं।
सात जिलों में पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं की ओर से संचालित गांधी संस्थागत पौधशालाओं में पौधे तैयार कर इस वर्ष बरसात के दौरान वितरण कर लगाने का बीङा उठाया है। जाळ का पेङ कम पानी में पनपने वाला, प्रतिकूल परिस्थितियों व भीषण गर्मी में अधिकतम तापमान में हरा-भरा और घना छायादार रहने वाला है।
Source: Barmer News