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Drinking Water Crisis: भीषण गर्मी और नहरबंदी के कारण गांवों में पेयजल की िस्थति बहुत विकट हो चली है। 70 दिन की नहरबंदी के कारण गांवों में पशुओं व इंसानों को टैंकर पर निर्भर होना पड़ रहा है। बून्द बून्द पानी को तरसने पर मजबूर है। लूणी तहसील के शिकारपुरा, सतलाना, करनीयाली, भाचरणा, सहित सभी गांवों में पेयजल संकट के कारण पशु पक्षी और वन्यजीव हीं नहीं बल्कि क्षेत्र के लोगों को भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहाहै। टैंकर आता है तो मानों यहां कुछ पल की राहत आती है। पत्रिका की टीम इन पानी के टैंकरों के साथ पहुंची और ग्राउंड जीरो से हालात का जायजा लिया।

करनीयाली गांव : टैंकर देखते ही उमड़ते है पशु और ग्रामीण
जिले के सतलाना पंचायत के गांव करनीयाली ग्राम में पानी से भरा टैंकर पहुंचते ही ग्रामीणों के साथ साथ मवेशियों का झुण्ड भी पानी की खेळियों की तरफ दौड़ने लगता है। महिलाएं, युवतियां, बच्चे और बुजुर्ग भी बाल्टियां, बर्तन लेकर पहुंचने लगे। टैंकर से पानी लेने पहुंची 90 साल की गवरी खीमाराम ने बताया कि उनके पति बीमार और नेत्रदोष से पीडि़त हैं।

मीठे पानी का टैंकर डेढ़ हजार
गांव में मीठे पानी का टैंकर डेढ़ हजार और खारे पानी का टैंकर 1000 में है। गांव में अधिकांश लोग आर्थिक रूप से कमजोर है। टांका खराब पड़ा है। ऐसे में सिर्फ टैंकर का पानी ही सहारा है।
लादूराम-करनीयाली ग्राम

वोट लेने के समय घर घर पानी की टूंटिया लगाने का वादा किया लेकिन चुनाव के बाद किसी ने झांका तक नहीं है। पानी के मामले में ग्रामीणों और मवेशियों की हालत एक जैसी ही है।
मीमा देवी-करनीयाली ग्राम

गांव का नाम – करनीयाली
आबादी – 2000
– दो साल से गांव में जलापूर्ति बंद, टैंकर ही सहारा।
– खेलियों तक ही लाइन घरों में नही।
– पशुओं के लिए टैंकर से खारा पानी, खेलियों के पानी का ही आसरा।
– प्लास्टिक के छोटे ड्रम व बड़ी बाल्टियों में पानी सहेजते हैं।

गांव का नाम – भाचरणा,लूणी
आबादी – 7000
– गांव में पानी पाइप लाइन से बिल्कुल नहीं आ रहा।
– पाइप लाइन है, लेकिन रेलवे अनुमति नहीं मिलने से सप्लाई रुकी हुई है।
– – गांव में सार्वजनिक खेलियों के पानी से काम चलाते हैं

– पानी सहेजने के लिए टांके, ड्रम और बाल्टियां

लूणावास से भाचरना तक पाइपलाइन पिछले साल आई लेकिन परमिशन नहीं मिल रही है। खारा पानी पीने को मजबूर है। टैंकर से जलापूर्ति होने पर पीते है अन्यथा टैंकर मंगवाते है।
बोलाराम विश्नोई, भाचरणा

नाकाफी है टैंकर
टैंकर से पानी नाकाफी है। हमें मजबूरन खारा पानी पीना पड़ता है। मवेशी के साथ साथ हमें भी प्यासा रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।
-सायरी देवी

गांव का नाम – चेनपुरा, भाटाण, लूणी
आबादी – 700 से 1000
– एक दिन छोड़ कर पानी का टैंकर आता है।
– पाइप लाइन में 20 साल से पानी नहीं है।
– स्कूल के टांके में भरवाकर फिर पशुओं की खेलियो में ट्रैक्टर से पानी भरवाते हैं।
– घर में टांके में पानी की व्यवस्था करते हैं। प्लास्टिक के ड्रम और बाल्टियों में भरकर रहते है।

चैनपुरा भाटाण के ग्रामीणों का कहना है
चैनपुरा भाटाण गांव के लोगों ने मवेशियों के लिए लंबे अर्से तक चंदा एकत्र कर पानी की खेळियां भरवाई थी। लेकिन वर्तमान में टैंकर से हो रही जलापूर्ति से ना तो मवेशी तृप्त हो सकते है ना ही ग्रामीण।
-मूलाराम

-हमें प्यासे मवेशियों के लिए रोजाना टैंकर का इंतजार करना पड़ता है। तालाब सूखे पड़े है। मजबूरन मुंहमांगी कीमत चुकाने के बाद खारे पानी के टैंकर मंगवाकर प्यास बुझानी पड़ती है।
-रूपा देवी

यह है गांवो में टैंकर व्यवस्था
– 181 गांवों में प्रतिदिन टैंकर से पानी सप्लाई होती है।
– 473 ढाणियों में पानी जाता टैंकर से।
– 60 लाख लीटर पानी प्रतिदिन गांवों में टैंकर से पहुंचाया जाता है।
– 650 से ज्यादा टैंकर प्रतिदिन चलते हैं।

नहरबंदी से हालत खराब हुई है
राज्य सरकार के कटीजेंसी प्लान के तहत गर्मी के सीजन में टैंकर से पेयजल सप्लाई होती है। लेकिन इस बार नहरबंदी के कारण हालत ज्यादा खराब है। डिमांड ज्यादा है तो टैंकर सप्लाई भी बढ़ाई है। आबादी के लिहाज से पानी की आपूर्ति होती है।
– शरद कुमार माथुर, अधीक्षण अभियंता, पीएचईडी जिला वृत्त

Source: Jodhpur

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