राजस्थान पत्रिका के 40 अण्डर, 40 पॉवर लिस्ट में सॉशल वर्क, पब्लिक वेलफेयर और एनजीओ श्रेणी में चयनित हुए बाड़मेर के त्रिभुवनसिंह राठौड़ ने शहीद परिवारों की सहायता, सम्मान और समाजिक प्रतिष्ठा के लिए विशेष कार्य किया है। पश्चिमी सीमा में वे प्रतिवर्ष परमवीरचक्र, शौर्यचक्र और अन्य पदक विजेताओं के साथ कार्यक्रम आयोजित कर सैनिक, पूर्वसैनिक, अद्र्धसैनिक और शहीद परिवारों को सम्मानित करने की थीम कार्य कर युवाओं को प्रेरित करते रहे है कि सेना और देशरक्षा के लिए आगे आएं। जानिए, त्रिभुवनसिंह से उनके इस सफर के बारे में पत्रिका की खास बातचीत में-
सवाल– आप पत्रिका 40 अंडर 40 लिस्ट में शामिल हुए है। अब आप इस उपलब्धि को किस तरह से देखते है आर समाज आपसे क्या उम्मीद रख सकता है? अब सामाजिक बदलाव, सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों और प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने से जुड़ी पत्रिका की इस पहल में किस तरह योगदान करेंगे?
जवाब– पत्रिका का बहुत-बहुत शुक्रिया। अण्डर 40 की सूची में आना अपने आप में हमारे अब तक किए गए कार्य का सम्मान है। समाज में कार्य करने की हमारी जो अलग थीम है, यानि शहीद परिवारों व सैनिकों के लिए कार्य करना उसको पत्रिका ने परखा है। दरअसल यह वो सोच है जो पूरे भारत में हों तो देश के लिए अब तक छह लाख से अधिक जो शहीद हुए है, उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को सम्मान मिलेगा। पत्रिका की इस पहल ने हमारी जिम्मेदारी और बढ़ा दी है।
सवाल-आपके कार्यक्षेत्र का का अब तक का सफर कैसा रहा है? आप इस क्षेत्र में कैसे आए?
जवाब– परिवार में सेना से सीधा जुड़ाव नहीं था। यहां थार के वीर टीम के जरिए हम लोग एक साथ जुड़े और तय किया कि जिले में जितने भी शहीद परिवार है, उनको सम्मान देंगे और उनकी मदद करेंगे। यह थीम आगे बढ़ी तो सोचा कि परमवीरचक्र, शौर्यचक्र व अन्य पदक विजेताओं के साथ कार्यक्रम करें ताकि संदेश और युवाओं को मोटिवेशन मिले। तीनों जीवित परमवीरचक्र का बाड़मेर में आना अपने आप में गौरव और गर्व का विषय बना।
सवाल-आपके कार्यक्षेत्र में, आपका सबसे बड़ा योगदान क्या मानते है?
जवाब– यह पूरा टीमवर्क है। हर वर्ग से लोग जुड़े है और पूरे जिले का जुड़ाव मानता हूं। शहीद परिवारों के सम्मान के लिए बड़ा योगदान कैसे कह सकते है, बड़ा योगदान तो उन वीरों का है जो हमारे लिए शहीद हो गए। वो कोई सरकार के लिए शहीद नहीं हुए। उन्होंने हमारी रक्षा की है।
सवाल– राज्य के विकास का रोडमैप क्या होना चाहिए। किस तरह की समस्याओं को आप इसमें बाधक मानते है और इनका समाधान कैसे संभव है?
जवाब– राज्य में विकास के रोडमैप पर शिक्षा, स्वाथ्य और रोजगार पर कार्य करने की जरूरत है। यह तय हों कि हर मां-बाप अपने बच्चे को कम से कम स्नातक तक पढाएं। हम बेटियों को नहीं पढ़ाकर उनके अवसर छीन रहे है, जहां बेटे आइएएस बन रहे है,वहीं बेटिएं भी बन सकती है। हम उनको अवसर नहीं दे रहे है। धर्म और जाति के नाम पर बंटवारा नहीं होना चाहिए। राष्ट्रप्रेम को लेकर हर परिवार में शिक्षा दी जाए।
सवाल-आप सोशल वर्क से जुड़े है,तो इस साल और आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में किस तरह के बदलावों की संभावना देखते है?
जवाब-सोशल वर्क बहुत बड़ा कान्सेप्ट है। हर व्यक्ति का इसमें योगदान है लेकिन जिस तरह हमने शहीद परिवारों के सम्मान और साथ खड़े होने की सोच ली है तो इस एक सोच में देश के लिए सैनिक तैयार करने, देशभक्ति का जज्बा जागृत करने, सैनिकों का सम्मान करने की भावना को सर्वाेपरि तक ले जाने की संभावनाएं मन में है।
सवाल- पत्रिका ने हमेशा पाठकों के विश्वास और खबरों में विश्वसनीयता को प्राथमिककता दी है और साढ़े दशक से ज्यादा के अपने पत्रकारिता के कीर्तिमानी सफर में इससे डिगा नहीं है? सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और वायरल के नाम पर जो भ्रामक चीजें परोसी जा रही है,उसे समाज के लिए कितनी बड़ी चुनौती मानते है?
जवाब– पत्रिका का विश्वास और पैठ, पीढिय़ों से है। निर्भिक, निष्पक्ष और सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता अद्वितीय है। सोशल मीडिया की खबरों ने भ्रम इतना बढ़ा दिया है कि उस पर विश्वास करना खुद को परेशान करना है। फेक न्यूज कई बार इतनी घातम होती है कि सामाजिक ताना-बाना टूटता नजर आता है। पत्रिका जोड़ती है। समाज को, परिवार को और पूरे राष्ट्र को।
सवाल-टैलेंट को सही मौके और प्लेटफार्म मिले इसमें सरकार, समाज और विभिन्न संगठनों की क्या भूमिका होनी चाहिए?
जवाब– सकारात्मकता, यही एक मूलमंत्र है।
Source: Barmer News