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ओपन बोर्ड से दसवीं में पढ़ रही दोनों बहनें

जितेन्द्र छंगानी

फलोदी (जोधपुर). एक पिता का अपनी दो बेटियों की शिक्षा के लिए पाकिस्तान छोडने का निर्णय अब इन बेटियों की तकदीर बदलने वाला साबित हो रहा है। अजमल राम की दो जुड़वा बेटियां हैं संगीता व कविता। इन बेटियों का कहना है कि पाकिस्तान में लड़कियों खासकर वहां की अल्पसंख्यक व दलित हिन्दू परिवारों की बेटियों की पढाई पर अंकुश है। ऐसे में अभिभावक बेटियों को स्कूल में दाखिला दिला भी देते हैं तो उनकी असुरक्षा बढ़ जाती है।

ऐसे में हमारे पिता अजमल राम ने हमारी शिक्षा व सुरक्षा के लिए पाकिस्तान छोडने का निर्णय किया और साल 2013 में पाकिस्तान से भारत आ गए। हमारे दादा, नाना व चाचा पाकिस्तान में ही रह रहे हैं।

संगीता व कविता ने बताया कि हमारे पिता के पाकिस्तान छोड़ने के निर्णय से दादा भगवानाराम नाराज हुए और उन्होंने हमसे बोलचाल बंद कर दी, लेकिन पिता ने हमारी सुरक्षा व बेहतर शैक्षणिक भविष्य के लिए भारत की शरण ली। अब हम यहां सुकून के पलों के साथ शिक्षा अर्जित कर रही हैं।

इन बेटियों के माता-पिता व भाई खेतों में मजदूरी करते हैं। पहले संगीता व कविता भी मजदूरी करती थीं, लेकिन पढ़ाई में इनकी ललक देखकर पिता ने पहले सरकारी स्कूल में एडमिशन कराया। बाद में दूसरा दशक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से संगीता व कविता को स्टेट ओपन बोर्ड से दसवीं करने का मौका मिला।

पढ़ाई के साथ सीख रही हैं कराटे

दूसरा दशक नामक स्वयंसेवी संस्था के परीक्षा तैयारी शिविर में कविता व संगीता इन दिनों पढ़ाई के साथ आत्मरक्षा के लिए कराटे का प्रशिक्षण भी ले रही हैं। प्रशिक्षक शैलजा बताती हैं कि संगीता व कविता ने पाकिस्तानी के हालात बताए तो हमें भी हैरानी हुई। अब संगीता व कविता यहां के माहौल में ऐसे गुल मिल गई हैं मानों वे यहां की सदस्य हों।

यों आसान हुई शिक्षा की राह

दूसरा दशक संस्था की ओर से गांवों में स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चियों को पढ़ाई से जोड़ने की परियोजना का संचालन किया जा रहा है। गोधरली गांव में स्कूल छोड़ने वाली बच्चियों का सर्वे किया गया, तो संगीता व कविता के बारे में जानकारी मिली।

Source: Jodhpur

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