जोधपुर। पाकिस्तान में 80 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यकों को पूरी पगार भी नहीं मिलती। यहां तक कि विभिन्न सरकारी विभागों में इनके लिए आरक्षित आधे से ज्यादा पद भी खाली हैं। सरकारी नौकरी मिलती है भी तो अधिकांश को सफाई कर्मचारी के पद पर।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की यूरोपियन यूनियन के सहयोग से करवाए गए अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हाल ही जारी ‘असमान नागरिकः अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवस्थागत भेदभाव का अंत’ (Unequal Citizens: Ending systmetic discremination agianst Minotiries) विषयक रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों खासकर सफाई कर्मियों के साथ भेदभाव और विषम स्थितियों की तस्वीर पेश की गई है।
50 फीसदी पद खाली
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने साल 2009 में अल्पसंख्यकों के लिए 22 वेतन शृंखलाओं की सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया था। इन आरक्षित पदों के 50 फीसदी से ज्यादा पद अब भी खाली हैं। जो पद भरे गए हैं उनमें भी 80 फीसदी को सफाई कर्मी जैसी अल्पवेतन शृंखला की नौकरियां दी गई है। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान के कुल सरकारी कर्मचारियों में से 97.2 प्रतिशत मुस्लिम और मात्र 2.8 फीसदी अल्पसंख्यक है।
एक्सपर्ट कमेंट
पाकिस्तान के वजूद के साथ ही वहां पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव व शरारत भरा व्यवहार किया जाता रहा है। नॉकरियो से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में यह साफ झलकता है। दुनिया के तमाम मानवाधिकार संगठनों को आगे आकर पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि लंबे अरसे से अपने अधिकारों से महरूम लोगों को न्याय मिल सके वरना उनके पास पलायन व धर्मांतरण के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। मुझे इस बात का भी खेद है कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले जनप्रतिनिधियों के साथ सभी राजनीतिक दल इनकी आवाज उठाने में नाकामयाब रहे हैं।
-हिंदूसिंह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमांत लोक संगठन
Source: Jodhpur