रामलाल चौधरी
समदड़ी(बाड़मेर). इस वर्ष अच्छी बरसात होने के बाद लूनी नदी में अब भी जगह-जगह पानी जमा है। इससे किसान खुश कम और चिंतित ज्यादा हैं, क्योंकि नदी में बरसाती पानी के साथ पाली से रासायनिक पानी की आवक भी हुई। यही पानी इन दिनों किसानों के लिए बड़ी आफत बन गया है, इससे नदी किनारे स्थित कृषि कुओं का पानी खराब हो रहा है। इस पानी से सिंचाई करने से अब तक अधिकांश खेतों में जीरे की फसल अंकुरित ही नहीं हुई है।
रामपुरा के लेकर कनाना तक लूनी नदी के किनारे सैकड़ों कृषि कुएं हैं। नदी में पानी की आवक होने से ये कुएं पानी से इन दिनों लबालब हैं। इसकी वजह अभी भी जगह-जगह नदी में पानी का जमावड़ा माना जा रहा है। नदी में पानी की आवक से किसान खुश थे पर अब उनके चेहरों पर मायूसी है।
रबी में जीरा, रायडा़ व गेहूं की बुवाई का दौर चल रहा है। राइड़ा व गेहूं की फसल तो इस पानी से उगने लगी है पर जीरे की फ सल बहुत की कम मात्रा में उग रही है, जिससे किसानों को जीरे की बुवाई दूसरी बार करनी पड़ रही है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।
हर साल रासायनिक पानी की आवक, रोकथाम के नहीं प्रबंध
हर बरस पाली की औद्योगिक इकाइयों का रासायनिक पानी भी नदी के पानी के साथ छोड़ देते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। प्रथम बार पानी आया तब काफी साफ था, जब दूसरी बार लूनी में पानी आया उसके साथ रासायनिक पानी को छोड़ दिया गया।
लूनी में इस पानी के जमावड़े से आसपास के कृषि कुओं का पानी भी कसैला हो गया है, जो भूमि की उर्वरा शक्ति को कम कर रहा है इससे किसान परेशान है।
रासायनिक पानी से फसलें हो रहीं खराब –
लूनी नदी में रासायनिक पानी आने से आसपास के कृषि कुओं का पानी भी खराब हो गया है। इस पानी से सिंचाई करने पर फसलों पर प्रतिकूल असर होने से किसान परेशान हैं। किसानों को नुकसान हो रहा है।
– घेवरराम, किसान
जीेरे पर पड़ रहा असर-
रासायनिक पानी का असर कृषि कुओं में दिख रहा है। इससे सिंचाई से जीरा नहीं उग रहा है, किसानों को बार-बार जीरा की बुवाई करनी पड़ रही है।
– कानाराम, किसान
रासायनिक पानी के चलते यह स्थिति-
लूनी नदी में आए पानी के साथ पाली की औद्योगिक इकाइयों से रसायनिक पानी भी आया, जिससे कृषि कुओं का नुकसान पहुंचा है। इसका असर बुवाई पर भी नजर आ रहा है। भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होने से किसानों को नुकसान हो रहा है।
– कालूराम, कृषि पर्यवेक्षक
[MORE_ADVERTISE1]
Source: Barmer News