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RGHS: जोधपुर. सरकारी अस्पतालों में खुले सहकारी भंडारों के दवा काउंटर अब मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में निजी मेडिकल स्टोर्स दवा लेने की छूट के बाद राज्य सरकार का ये उपक्रम मंदा पड़ गया है। प्रतिमाह तीन-चार करोड़ रुपए की सेल करने वाला सहकारी दवाओं के भंडार को प्रतिमाह डेढ़ करोड़ रुपए की सेल करने में पसीने छूट रहे हैं। दूसरी ओर से सेवानिवृत्त ज्यादातर पेंशनर्स भी मासिक दवाएं आजकल सरकार के अधिकृत निजी दवा काउंटर से ले रहे हैं। भंडार की तंगहाली की गूंज राज्य सरकार तक पहुंच चुकी है, लेकिन राहत के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा।

हेल्पर भी छोड़ने लगे नौकरी
सहकार भंडार नवंबर माह से राज्य सरकार से 20 करोड़ रुपए मांग रहा है। इसमें से अभी महज छह करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। करीब 14 करोड़ रुपए बकाया चल रहे हैं। सहकार भंडार के फार्मासिस्टों का कहना है कि निजी मेडिकल स्टोर को सरकार मई तक का भुगतान कर चुकी हैं। सहकार भंडार भी कांग्रेस सरकार की देन है, उसके बावजूद ये वर्तमान में मंदी के दौर से गुजर रहा है। भंडार मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट के साथ लगे कई हेल्पर भी नौकरियां छोड़ जा रहे हैं।

एमजीएच व एमडीएम में बकाया
एमडीएम व एमजीएच से भी करीब 7 करोड़ रुपए भंडार मांग रहा है। वहीं शहर के बड़े डॉक्टर्स के क्लिनिक के बाहर की निजी मेडिकल दुकानें भी आरजीएचएस हो गई है। हालांकि कैंसर बीमारी की थैरेपी के दवा आइटम की सेल अभी भी भंडार के पास है, जबकि पैसा न आने के कारण थैरेपी खरीद जैसे कार्य भी भंडार के प्रभावित हो रहे हैं।

इनका कहना हैं….
सेल में कमी आई है। इस समस्या से उच्चाधिकारियों को भी अवगत करवाया जा रहा है। बाकी सरकार के निर्देशानुसार कार्य कर रहे हैं।
-अरुण बारहठ, महाप्रबंधक, जोधपुर सहकारी उपभोक्ता भंडार

Source: Jodhpur

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