रावताराम सारण/सिणधरी। बाड़मेर जिले में सबसे ज्यादा उपज देने वाली बाजरे की फसल का खाने के साथ साथ आमदनी प्राप्त करने में उपयोग किया जा सकता है। बाड़मेर का बाजरा किसानों को डबल आमदनी देने का जरिया बन चुका है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बाजरे से अब अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार कर मार्केट में बेचने की तयारी की जा रही हैं जो सबसे पौष्टिक लाभदायक है।
बाड़मेर के गुडामालानी क्रषि केंद्र में बाजरे से अलग अलग प्रकार के प्रोडक्ट बनाए जाते है जिसमे बाजरा की खिचड़ी,बाजरे का भात,बाजरे तिल की टिक्की, बाजरे का थेपला, बाजरे के लड्डू, बाजरे के आटे का हलवा, बाजरे का चूरमा, बाजरे की मठरी, बाजरा-छाछ परांठा, बाजरे का ढोकला,बाजरा बिस्कुट,बाजरे का चॉकलेट केक,बाजरे के मफीन्स,बाजरे का चिला,बाजरे का खाखरा,बाजरे की चकली ,बाजरे के आटे की बर्फी, बाजरे की सेव(नमकीन) ,बाजरे की ब्रेड जो अलग-अलग वैज्ञानिकों द्वारा कृषि केंद्र में तैयार की जाती है।
घर पर बना सकते हैं प्रोडक्ट
कृषि अधिकारियों का कहना है कि बाजरे से बनने वाले प्रोडक्ट के बारे में केवीके में महिला और युवाओं को बाजरे से बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के बारे में सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें बिस्किट नमकीन सहित अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करने की पूर्ण ट्रेनिंग दी जाती है जिसके बाद वह आसानी से अपने घर पर प्रोडक्ट तैयार करके मार्केट में बेचकर अपनी आमदनी कमा सकता है।
इनका कहना
बाड़मेर क्षेत्र में बाजरा अधिक उत्पाद है । इसलिए हमने बाड़मेर में बाजरा चुना, जिसके चलते किसानों को बाजरे की वैल्यू नहीं मिल पा रही है। हम आर्य परियोजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। बाजरे से अलग-अलग युवा प्रोडक्ट तैयार करके बाजार में बेचकर उसका समर्थक मूल्य पा सकते हैं। यह रोजाना डाइट में खाने वाले प्रोडक्ट हैं जो सबसे बेहतर है।
– सुमन शर्मा
कृषि वैज्ञानिक शोधकर्ता केवीके गुडामालानी
हमारे यहां कृषि विज्ञान केंद्र में अभी चार प्रोडक्ट बाजरे के तैयार हो रहे हैं, जिसके तहत किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसे किसान बाजार में बेचकर अपनी अच्छी आमदनी हासिल करके बाजरे का पूरा मूल्य पा सकते हैं।
– बी एल मीणा वरिष्ठ वैज्ञानिक केवीके गुडामालानी
Source: Barmer News