चौथी कक्षा में पढ़ने के दौरान लीला के दोनों हाथ काटने पड़े, लेकिन जांबाज बेटी ने हार नहीं मानी। वह पांवों से लिखना सीख गई और बारहवीं कक्षा में आ गई। हादसे में जब उसके हाथ कटे थे, तब उसे छह लाख रुपए की सहायता राशि मिली थी। यह राशि उसने नवजीवन क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटी बाड़मेर में जमा करवाई, लेकिन सोसाइटी डूबने के साथ ही लीला की सहायता राशि भी डूब गई। लीला ने मुख्य न्यायाधीश राजस्थान हाईकोर्ट को 24 मई को अपने से पांवों से पत्र लिखा और पूरी दास्तां बयां की। दर्द की दास्तां भरा यह पत्र राजस्थान पत्रिका ने 26 मई के अंक में पांवों से लिखा पत्र….मजमून पढ़ कर पत्थर भी रो पड़े शीर्षक से समाचार के रूप में प्रकाशित किया। इस पत्र की सुनवाई के लिए गुरुवार को अपर जिला व सेशन न्यायाधीश लीला के घर पहुंचे और उसे आश्वस्त किया कि उसके रुपए उसे वापस दिलवाए जाएंगे।
न्यायाधीश पहुंचे लीला के घर
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व अपर जिला व सेशन न्यायाधीश विकाससिंह चौधरी गुरुवार दोपहर बाद हापों की ढाणी निवासी लीला के घर पहुंचे। उन्होंने लीला से मुलाकात कर उसकी पूरी दास्तान सुनी। इस दौरान लीला के माता-पिता व परिवार अन्य सदस्य मौजूद रहे। न्यायाधीश चौधरी ने पूछा कि सोसाइटी में जमा रुपए वापस नहीं मिलने पर उन्होंने थाने में मामला दर्ज करवाया या नहीं, इस पर जवाब मिला कि सप्ताह भर पहले थाने में परिवाद दिया था, लेकिन मामला दर्ज नहीं हुआ।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को निर्देश
न्यायाधीश विकाससिंह ने मौके से ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरपतसिंह जैतावत से बात की और निर्देश दिए कि तत्काल मामला दर्ज कर उसकी एक प्रति न्यायालय व एक प्रति परिवादी को भिजवाई जाए। उन्होंने प्रकरण की जांच करने के लिए कहा। इधर लीला व उसके परिजनों को बताया कि पैरवी के लिए वकील सरकार के स्तर उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि लीला की राशि विधिसम्मत तरीके से उसे लौटाई जाएगी।
काटने पड़े थे दोनों हाथ
चौथी कक्षा में पढ़ने के दौरान जब लीला खेल रही थी, वह खेत में बिजली के तार की चपेट में आ गई। अचेत होकर गिरी और उसे इलाज के लिए अहमदाबाद ले गए, जहां उसके दोनों हाथ काटने पड़े। अबोध बालिका लीला के हाथ गए, लेकिन हिम्मत नहीं। उसने कहा, मैं पढूंगी। सबने कहा हाथ नहीं हैं, कैसे? लीला ने पांव आगे किए और कहा- पांवों पर खड़ा होने के लिए पांव से लिख लूंगी। ललक देखते हुए उसे स्कूल भेजा और वह अब बारहवीं में आ गई है।
पत्रिका ने लीला का दर्द समझा
लीला जब आठवीं कक्षा में आई तो जिला मुख्यालय पर कृत्रिम हाथ लेने आई। पत्रिका ने इस बालिका के हाथ नहीं होने का दर्द जाना तो यह बात सामने आई कि हाथ कटने के बाद डिस्कॉम ने उसे कोई मुआवजा राशि नहीं दी है। पत्रिका ने खूंटी पर टंगे लीला के हाथ शीर्षक से समाचार श्रृंखला प्रारंभ की तो डिस्कॉम ने लीला को 4.50 लाख रुपए मदद के दिए और 1.50 लाख की अन्य मदद हुई। लीला और परिवार को इस बात का संतोष है कि अब बेटी सयानी होगी तो शादी में काम आएंगे तो लीला ने कहा नहीं, इन रुपयों के साथ पढ़ाई पूरी कर मैं पांवों पर खड़ी होऊंगी।
Source: Barmer News