Rain sign: जोधपुर. सूर्य देव वर्तमान में आर्द्रा नक्षत्र में हैं और वे 6 जुलाई तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होने पर शुभ फल देते हैं। भारतीय संस्कृति में भी सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
मैदिनी ज्योतिष के अनुसार वर्षा ऋतु का प्रबल कारक सूर्य तथा मौसम परिवर्तन का कारक बुध ग्रह अपनी राशि अथवा अपनी मित्र राशि में गोचर करते हैं तो वर्षा का चक्र बनता है तथा उसी क्रम में बारिश की दशा तथा दिशा तय हो जाती है। बुध ग्रह भी एक जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करने से बारिश की स्थिति और भी श्रेष्ठ बन रही है।
स्वराशि में रहेंगे पांच ग्रह
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो आषाढ़ मास में पांच ग्रह स्वराशि में रहेंगे। इसमें प्रमुख रूप से मंगल मेष राशि, बुध मिथुन राशि, गुरु मीन राशि, शुक्र वृषभ राशि तथा शनि कुंभ राशि में गोचरस्थ रहेंगे। मंगल का मेष राशि में प्रवेश 27 जून को होगा, शुक्र 18 जून को वृषभ में आ चुके है। ज्योतिष अनीष व्यास के अनुसार बुध का मिथुन में प्रवेश एक जुलाई को होगा। शनि व गुरु पहले से ही अपनी-अपनी राशि में गोचरस्थ हैं। इन पांच ग्रहों की उत्तम स्थित के कारण ही वर्षा ऋतु में सर्वत्र श्रेष्ठ बारिश के योग बन रहे हैं।
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र
आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र हैं। जो कि आंधी, तूफान के स्वामी हैं। ये भगवान शिव का ही रूप हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहू है, जो कि धरती का उत्तरी ध्रुव भी है। ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है। यानी इसमें बीज बोने का सही समय होता है।
Source: Jodhpur