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जोधपुर।
किसी खिलाड़ी के खेल जीवन में उसके माता-पिता की बहुत भूमिका होती है। अगर घर में ही जब बच्चे को खेल का माहौल मिले और माता-पिता भी खेल से जुड़े हुए तो उसका असर बच्चे पर भी होगा। इसका उदाहरण है तेजस्विनी कंवर शेखावत, जो अपने माता-पिता की प्रेरणा से नेशनल बॉक्सर बन पाई। तेजस्विनी ने हाल ही में, राज्य स्तरीय जूनियर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण जीता है। आगामी अगस्त माह में मणिपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भाग के लिए जाएगी।
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एथलेटिक्स-जिम्नास्टिक्स में रुचि नहीं, बॉक्सिंग की राह पकड़ी
तेजस्विनी जब 6 वर्ष की थी, तो वह अपने माता-पिता के साथ एथलेटिक्स का अभ्यास करती थी । परंतु एथलेटिक्स में रुचि नहीं होने के कारण उसकी मां ने उसे जिमनास्टिक करने की सलाह दी, लेकिन उसका रुझान बॉक्सिंग की ओर था। उसके बाद 12 वर्ष के उम्र से ही वह कोच विनोद आचार्य के मार्गदर्शन में लगातार बॉक्सिंग का अभ्यास कर रही है। जिसमें उसने वुशु व बॉक्सिंग में राज्य स्तर पर रजत व कांस्य पदक हासिल किए।

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कोरोना काल में मां खुद जाती प्रेक्टिस करवाने

कोरोना काल में जब बाॅक्सिग सेंटर को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था। उस समय तेजस्विनी की मां गजेन्द्र राठौड़ उसे रोजाना मैदान पर ले जाती थी और अभ्यास करवाती थी।

मां भी राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी
तेजस्विनी की मां गजेन्द्र राठौड़ व पिता वीरेन्द्रसिंह शेखावत दोनों खिलाड़ी है। उसकी मां गजेन्द्र स्कूल समय में राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी की खिलाड़ी रह चुकी है। वर्तमान में तेजस्विनी के माता-पिता दोनों ही मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी भाग लिया है और नेशनल मास्टर्स में मां ने कांस्य पदक अर्जित किया है ।

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माता-पिता मार्गदर्शक तो मंजिल मिलना तय

तेजस्विनी का कहना है कि आपके सफर में यदि आपके माता-पिता मार्गदर्शक हो तो, मंजिल मिलना तय है। मेरे माता-पिता दोनों खेल से जुड़े हुए है। मेरी मां ने मुझे खेल से जोड़ने के लिए खुद को भी हमेशा खेल से जोड़े रखा और मुझे मंजिल भी इनकी प्रेरणा से ही मिली।
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Source: Jodhpur

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