पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
थार में जमीन की भीतरी गर्मी भी अब हमारे लिए उपयोगी साबित होगी। जमीन के भीतर हजारों मीटर गहराई में प्राकृतिक रूप से मौजूद ऊष्मा का उपयोग जियो थर्मल एनर्जी की सहायता से बिजली उत्पादन में किया जाएगा। बाड़मेर जिले में तेल और गैस की खोज एवं उत्पादन करने वाली केयर्न ऑयल एंड गैस ने एनर्जी टेक्नोलॉजी कंपनी बेकर ह्यूजेस के साथ अनुबंध किया है।
इसके तहत कंपनी के तेल और गैस के रिपर्पज्ड कुओं से जियोथर्मल एनर्जी को काम में लिया जाएगा। इससे केयर्न ऑयल एंड गैस तेल और गैस के साथ 2.4 मेगावाट तक बिजली का सह-उत्पादन करेगी, जिससे हर साल 17 हजार टन ग्रीनहाउस गैस से छुटकारा मिलेगा। यह अनुबंध केयर्न ऑयल एंड गैस द्वारा हाल ही में घोषित ईएसजी के रोडमैप के बाद हुआ है, जिसमें उसने 2050 तक शून्य-उत्सर्जक कंपनी बनने का वचन दिया था।
हरित ऊर्जा में योगदान मिलेगा:
केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह का कहना है कि केयर्न में हम भारत में घरेलू ऊर्जा की मांग को पूरा करने और क्रियाकलापों में स्थायित्व को प्रोत्साहित करने के लिए मजबूती से प्रतिबद्ध हैं। बेकर ह्यूजेस के साथ जुड़ने से सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी का भारत की हरित ऊर्जा में योगदान मिलेगा। पूरी दुनिया में तेल के सूखते कुओं से जियोथर्मल एनर्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि देश में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक पद्धतियां लाने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के सफर में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।संयुक्त अध्ययन किया जाएगा
संयुक्त अध्ययन किया जाएगा:
बेकर ह्यूजेस में भारत और बांग्लादेश के कंट्री डायरेक्टर नीरज सेठी का कहना है कि केयर्न वेदांता का बेकर ह्यूजेस के साथ मजबूत रिश्ता होने के कारण 2050 तक शून्य-उत्सर्जक बनने की केयर्न की यात्रा में उनके साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं। उच्च तापमान में खोदे गए तेल और गैस के मौजूदा कुओं की रिपर्पजिंग के लिए व्यावहारिकता का संयुक्त अध्ययन किया जाएगा, ताकि जियोथर्मल एनर्जी पैदा हो सके।
रागेश्वरी फील्ड से होगा बिजली का उत्पादन:
प्रारंभिक अध्ययनों के आधार पर रागेश्वरी डीप गैस फील्ड और उसके आस-पास के हाइड्रोकार्बन कुओं को जियोथर्मल एनर्जी के उत्पादन के लिये चुना गया है। यह काम विभिन्न चरणों में पूरा किया जाएगा। जैसे उत्पादन या खोज के योग्य हाइड्रोकार्बन कुओं की रिपर्पजिंग द्वारा जियोथर्मल एनर्जी पैदा करने की व्यावहारिकता और क्षमता का अध्ययन, परियोजना की परिकल्पना तैयार करना, परिकल्पना को परखने के लिए पायलट प्रोजेक्ट इत्यादि।
परियोजना की व्यावहारिकता के अध्ययन का पहला चरण परियोजना शुरू होने के बाद 4 माह में होगा। यह अनुबंध इस साल फरवरी में केयर्न ऑइल एंड गैस की ओर से घोषित ईएसजी रोडमैप के बाद हुआ है। कंपनी परिचालन क्षेत्रों में लोगों का जीवन बेहतर बनाने पर केन्द्रित हैं। इसमें 1 मिलियन को स्थायी आजीविका के अवसर, डिजिटल शिक्षा कार्यक्रमों द्वारा 2030 तक लगभग 9 मिलियन विद्यार्थियों की शिक्षा और स्वास्थ्य रक्षा, शिक्षा, पोषण एवं कल्याण के माध्यम से 20 मिलियन महिलाओं और बच्चों का उत्थान शामिल है।
Source: Barmer News