जोधपुर. रेलवे जहां अपने कार्यों को जल्द पूरा करने का दावा कर रहा है, वहां रेल कोच रेस्टोरेंट खोलने के मामले में यह दावा खोखला साबित होता नजर आ रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मण्डल ने अन्य स्त्रोतों से रेल राजस्व जुटाने का अनूठा प्रयोग करते हुए रेलवे स्टेशन पर रेल कोच रेस्टोरेंट खोलने की घोषणा की थी, लेकिन जोधपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों व आमजन के लिए खुलने वाला रेल रेस्टोरेंट ऑन व्हील्स एक साल बाद भी मूर्तरूप नहीं ले पाया और यह रेस्टोरेंट अभी कागजी कार्यवाही में ही अटका हुआ है। हाल यह है कि इस रेस्टोरेंट के लिए अभी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। इस वजह से रेल कोच रेस्टोरेंट खुलने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है।
जोधपुर मण्डल के पांच प्रमुख स्टेशनों जोधपुर, भगत की कोठी, महामंदिर, बाडमेर व जैसलमेर में रेल रेस्टोरेंट ऑन व्हील्स खुलने थे। रेलवे ने गत वर्ष दीपावली पर शहरवासियों को यह सुविधा उपलब्ध कराने का विश्वास जताते हुए तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन इसके आगे पूरी प्रक्रिया ही रुक गई।
सर्कुलेटिंग एरिया में खुलने थे रेस्टोरेंट
जोधपुर मण्डल के जोधपुर, भगत की कोठी, महामंदिर, बाडमेर व जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर सर्कुलेटिंग एरिया में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) अवधारणा पर रेल कोच रेस्टोरेंट खोले जाने थे। इसके तहत रेलवे निजी संचालकों को एक खाली रेल कोच उपलब्ध कराना तय हुआ था। इसमें संचालक की ओर से अपनी क्षमता और सुविधानुसार कोच को रेस्टोरेंट में बदलना तय हुआ था। रेस्टोरेंट में खाने की वस्तुएं, खाना पैक करने व साथ ले जाने की भी सुविधा होगी।
प्लेटफॉर्म टिकट लेने की जरूरत नहीं
रेलवे स्टेशन के पार्किंग वाले क्षेत्र में रेल कोच रेस्टोरेंट होने की वजह से किसी ग्राहक को प्लेटफार्म टिकट लेने की जरूरत नहीं रहेगी। इसमें ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ आम लोगों को भी यह अनूठा आनंद लेने का मौका मिलेगा।
2007 में शुरुआत
रेलवे बोर्ड ने कुछ वर्ष पहले देश में खराब व अनुपयोगी पड़े रेल कोचों का नवीनीकरण करके रेल भोजनालय स्थापित करने का फैसला किया था। अनेक शहरों में यह व्यवस्था पहले से चल रही है। उल्लेखनीय है कि सबसे पहले मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने 2007 में शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस टे्रन के कोच में रेल कोच रेस्टोरेंट की अवधारणा शुरू की थी।
Source: Jodhpur