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दिलीप दवे बाड़मेर . प्रदेश के सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थी अब पिछली दो कक्षाओं की पढ़ाई भी करेंगे। राजस्थान में शिक्षा के बढ़ते कदम के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई के पैटर्न में बदलाव किया गया है। इसके तहत गणित, अंग्रेजी व हिंदी के बेसिक ज्ञान को पिछले दो कक्षा के आधार पर मजबूत कर वर्तमान कक्षा का शिक्षण करवाया जाएगा। आठ कालांश में से चार कालांश पिछली कक्षाओं की पढाई पर वर्क बुक से पढ़ाए जाएंगे, जिसके बाद वर्तमान कक्षा की पढ़ाई होगी। राज्य में जुलाई से उच्च प्राथमिक स्तर की कक्षाओं की पढ़ाई में बदलाव किया गया है।

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राजस्थान में शिक्षा के बढ़ते कदम नाम से कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों को वर्क बुक दी जाएगी। इस वर्क बुक में पिछले दो कक्षाओं के गणित, हिंदी और अंग्रेजी से संबंधित बेसिक ज्ञान आधारित प्रश्न होंगे, जो अध्यापक पढ़ाएंगे। इसके लिए स्कूल में प्रथम चार कालांश में शिक्षण वर्क बुक से ही होगा। निदेशालय की ओर से जारी निर्देश के अनुसार स्कूल में 8 में से 4 पीरियड 2:20 घंटे पिछली दो क्लास और 4 पीरियड वर्तमान क्लास की पढ़ाई करवाई जाएगी। नए पेटर्न से शिक्षण के पीछे सरकार का उद्देश्य बच्चों के बेसिक ज्ञान को मजबूत करना है। पिछली दो कक्षाओं में सीखे ज्ञान के आधार पर शिक्षण होने से बच्चे जो बेसिक पढ़ाई उन्होंने की है उसको भूलेंगे नहीं। वहीं, वर्तमान कक्षा की पढ़ाई भी पिछली दो कक्षाओं से जुड़ी होने से वे एक-दूसरी कक्षा से तारतम्य स्थापित कर पढ़ाई कर सकेंगे।

वर्कबुक मिली – अब तक स्कूलों में तीसरी से पांचवीं तक की वर्क बुक मिल चुकी है। वहीं छठी से आठवीं तक की कक्षाओं की वर्कबुक अब तक नहीं आई है। कोर्स पूरा होने की चिंता- नए पेटर्न के साथ ही शिक्षकों को इस बात की चिंता भी है कि जब चार कालांश वर्कबुक से पढ़ाई में चले जाएंगे तो वे वर्तमान कक्षाओं का कोर्स कैसे पूरा करवा पाएंगे।

यह है कार्यक्रम तय- शिक्षा की ओर बढ़ते कदम के तहत जुलाई से सितंबर तक प्रथम 4 कालांश में वर्क बुक से पढ़ाई होगी जबकि अक्टूबर के बाद प्रथम 2 कालांश होंगे। अक्टूबर के बाद बेसलाइन के आधार पर दो ग्रुप बनेंगे जिसमें एक ग्रुप कक्षा स्तर का होगा उसको वर्कबुक वाला कार्य बन्द करवा देंगे। दूसरा ग्रुप कक्षा से न्यून स्तर होगा उनको 2 कालांश में पढ़ाया जाएगा।

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यह मकसद है- सरकार की मंशा है कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से पुरानी क्लास का आधार खत्म हो गया है। ऐसे में स्टूडेंट्स का आधार वापस तैयार करने के लिए ब्रिज कोर्स करवाना पड़ रहा है। विभाग का मानना है कि पिछले दो साल में बच्चों ने कुछ खास नहीं सीखा, ऐसे में लर्निंग लॉस खत्म करने के लिए पुरानी क्लासेज पढ़ाना जरूरी हो गया है। शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में ये ही पैटर्न लागू किया है। सरकारी स्कूल के लिए तो वर्कबुक की व्यवस्था की गई है।

कोर्स से होगा कक्षा स्तर व आधार तैयार- बच्चों में कोरोना काल मे हुए लर्निंग लॉस को खत्म करके उसका आधार तैयार करने के लिए ब्रिज कोर्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कार्यपुस्तिकाओं के माध्यम से बच्चे पिछली कक्षाओं के पाठ्यक्रम को भी समझ सकेंगे। मगाराम चौधरी, प्रधानाध्यापक, राउप्रावि कोठे का तला, धारासर

Source: Barmer News

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