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जोधपुर।
मंडोर क्षेत्र में भोगीशैल पहाड़ियों के बीच स्वयंभू सुखेश्वर महादेव मंदिर जोधपुर और मंडोर की स्थापना से भी प्राचीन माना जाता है । महाभारत काल में पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान मंदिर में भगवान शिव का पूजन किया था । पांडवों ने यहां पर पांच कुंड का निर्माण करवाया, जिसे पंचकुण्ड कहा जाता है । मंदिर परिसर के पंचकुण्ड के नाम भी युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव के नाम से रखे गए है । श्रावण मास में मंदिर में महादेव का नित्य अलग-अलग औषधियों से अभिषेक व आकर्षक श्रृंगार किया जाता है । हर साल ***** सुदी एकम को यहां श्रीमाली ब्राह्मण समाज के ‘अणगा मेला’ का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शिरकत करते है । इस दिन समाज के लोग घर में एक दिन पहले निर्मित ठंडा भोजन करने की परम्परा का निर्वहन करते हैं । आद्य शंकराचार्य की जयंती के दिन मंदिर का पाटोत्सव मनाया जाता है । मंदिर परिसर में सिद्देश्वरी माता का मंदिर भी है । संत गुलाबचंद सहित अनेक तपस्वी योगियों ने मंदिर में तपस्या कर सिद्धि प्राप्त की थी । श्रीमाली ब्राह्मण समाज जोधपुर व सुखेश्वर महादेव पाटोत्सव समिति मंदिर का रखरखाव करती है ।
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मां उष्ट्रवाहिनी का प्राकट्योत्सव 9 व 10 को
पुष्करणा ब्राह्मणों की कुलदेवी मां उष्ट्रवाहिनी देवी का दो दिवसीय प्राकट्योत्सव कार्यक्रम 9-10 अगस्त को चांदपोल के बाहर स्थित मां उष्ट्रवाहिनी मंदिर में मनाया जाएगा।

पुष्करणा दिवस की पूर्व संध्या पर 9 अगस्त को शाम 6 बजे भामाशाहों का सम्मान किया जाएगा। 10 अगस्त को सुबह 9 बजे पं सोमियाजी सोमदत्त अग्निहोत्री के सानिध्य में विश्व-शांति यज्ञ आयोजित किया जाएगा।

Source: Jodhpur

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