जोधपुर. मारवाड़ का प्रमुख लोकपर्व बड़ी तीज रविवार को परम्परागत हर्षोल्लास से मनाया जाएगा । पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनें सुबह से रात चन्द्रोदय तक निराहार रहेगी । तीज की पूर्व संध्या पर शनिवार को देर शाम तक शहर में धमोळी की धूम रहेगी।
मंदिरों में विशेष व्यवस्था
कजरी तीज के उपलक्ष में शहर के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में तीजणियों के दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है । चन्द्रोदय के बाद प्रमुख कृष्ण मंदिरों में झूला की उत्सव का आयोजन किया जाएगा ।
सजेंगे चाट बाजार
बड़ी तीज की पूर्व संध्या पर शनिवार को धमोळी मनाई जाएगी । इसे लेकर शहरभर में जोरदार तैयारियां की जा रही है । धमोळी के अवसर पर परकोटे के भीतरी शहर के विभिन्न मोहल्लों में लागत मूल्यों पर मिठाई – नमकीन व चाट पकौड़ी की स्टॉल्स लगाई जाएंगी । शहर में देर रात तक ये दुकानें चलती रहती है । तीज का उपवास करने वाली महिलाएं व युवतियां धमोळी पर तड़के तक व्यजंनों का लुत्फ उठाती है । इसके बाद पूरे दिन निराहार रहकर रात को चन्द्रदर्शन के बाद उपवास खोला जाता है ।
धमोळी पर होगा परंपरा का निर्वहन
धमोळी पर नवविवाहिताओं के ससुराल सत्तू , मिठाई , फल व वस्त्र आदि भेजने की परम्परा है । कोविड प्रोटोकॉल के कारण दो साल बाद होने वाले आयोजन को लेकर खासा उत्साह है ।
माता पार्वती को समर्पित है कजरी तीज
108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती, भगवान शिव से विवाह करने में सफल हुईं। इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। कजरी तीज का व्रत रखकर सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। कजरी तीज को कजली तीज, सातूड़ी तीज, सत्तू तीज नाम से भी जाना जाता है। इस दिन किये जाने वाला व्रत दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है। व्रत का पारणा चंद्रमा के दर्शन करने और उन्हें अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ कन्याएं भी व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है तो वहीं कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। माना जाता है कि अगर किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही है तो इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाती है। इस व्रत में माता गौरी को सुहाग की 16 सामग्री अर्पित की जाती हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है। इस व्रत में शिव-गौरी की कथा का श्रवण विशेष फलदायी है।
कजरी तीज शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ (13 अगस्त) – रात 12:53 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त (14 अगस्त) – रात 10:35 मिनट तक
Source: Jodhpur