महेन्द्र त्रिवेदी.
बाड़मेर. मालाणी एक्सप्रेस को बंद करने की जानकारी आते ही बाड़मेर-बालोतरा-समदड़ी और पूरे इलाके में एक ही मांग उठ रही है कि इस रेल को बंद नहीं किया जाए। रेलवे ने मालाणी बंद करने से पहले ही मण्डोर एक्सप्रेस को शुरू करने की घोषणा कर दी है लेकिन मालाणी बंद करने के बदले यह नामंजूर है।
दरअसल बाड़मेर में पिछले एक दशक से लगातार लंबी दूरी की रेलों की मांग हो रही है। बाड़मेर से मुम्बई, अहमदाबाद, दक्षिण भारत के साथ ही जयपुर-दिल्ली को जोडऩे के लिए रेलों की आवश्यकता है। रिफाइनरी की आधारशिला रखने के बाद बाड़मेर में विकास के पंख लग रहे हैं।
इधर तेल का खजाना मिलने के बाद आर्थिक प्रगति आई है। कोयला और अन्य विकास ने बाड़मेर की तरक्की को नए आयाम दिए हैं। आर्थिक सुदृढ़ता के अलावा भी अब बाड़मेर से जयपुर-दिल्ली के बीच यात्रा करने वालों में सैनिक, छात्र, जनप्रतिनिधि सहित आमलोग शामिल हैं। मालाणी एक्सप्रेस की समय सारिणी अधिकांश लोगों के लिए सहूलियत की है।
इस कारण मालाणी एक्सप्रेस को सुचारू रखने की मांग पुरजोर उठ रही है। दूसरा सवाल यह भी है कि दस साल की मांग बाद सीमावर्ती जिले को नई रेल देना तो सौगात होता लेकिन एक रेल देकर दूसरी को बंद करने का क्या मतलब? अब बाड़मेर रेलों की संख्या बढऩे को लेकर कितना लंबा इंतजार करेगा? मण्डोर एक्सप्रेस की सौगात देने के साथ मालाणी को भी संचालित रखा जाता है तो सौगात होगी।
जिले के सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि और वर्ग से जुड़े एकजुट होकर इस मांग को आगे बढ़ाएं। किसी भी दल से ताल्लुक रखते हों लेकिन सबका स्वर एक होना चाहिए कि कोई रेल बंद न करें, नई रेल बाड़मेर को मिले। रुकना यहां पर भी नहीं है, जैसलमेर-बाड़मेर-कांडला रेल मार्ग का सर्वे हो रखा है।
यह रेलमार्ग बाड़मेर के लिए बड़ी सौगात बन सकता था। इसे लेकर भी जनप्रतिनिधियों की ओर से अब पुरजोर तरीके से केन्द्र सरकार से मांग रखनी चाहिए। यह मार्ग खुल जाता है तो बाड़मेर के लिए बड़ी सौगात होगी।
2008 से 2019 तक इस रेल मार्ग के लिए लगातार बात होती आ रही है लेकिन 11 साल बाद भी स्थिति ढाक के वही तीन पात है।
रिफाइनरी 2022 तक बाड़मेर के पचपदरा में स्थापित होनी है तब तक आवागमन के साधनों को लेकर आवाज हर मंच पर उठानी होगी। मालाणी बंद होती है तो जाहिर है कि बाड़मेर ठगा हुआ महसूस करेगा। रेलों की संख्या बढ़े यही सबका प्रयास होना चाहिए।
Source: Barmer News