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जोधपुर. चांदपोल के बाहर विद्याशाला-किला रोड स्थित तीन सौ से वर्ष से भी प्राचीन सिद्धेश्वर गणेश मंदिर में स्थापित गणपति प्रतिमा की सूंढ दांयी तरफ है जिनके दर्शन शुभ माने जाते हैं। कहा जाता है कि नौ ग्रहों के अधिष्ठाता गणपति है इसीलिए नौ ग्रहों को शांत करने के पश्चात मंदिर में गणपति मूर्ति की स्थापना की गई। मंदिर परिसर की तलहटी में विशाल नवग्रह यज्ञशाला भी है।चॉकलेटी काले रंग के है गणपति

मंदिर में प्रतिष्ठित प्रथम पूज्य की मूर्ति का रंग चॉकलेटी काला है। ऐसी मान्यता है कि दक्षिण दिशा में जिस गणपति का मुख हो उनकी उपासना करने से सर्वकार्य सिद्ध और सर्व विघ्नों का नाश होता है। जोधपुर में दक्षिणामुखी गणपति मंदिर नाममात्र ही है। दो वर्षों तक कोरोनाकाल में सिद्धेश्वर गणपति के दर्शनों से वंचित भक्तों के लिए इस बार मंदिर में दर्शन की व्यवस्था की गई है। मंदिर का करीब दो दशक पूर्व जीर्णोद्धार करवाया गया था। मंदिर में प्रत्येक बुधवार को भक्तों की भीड़ रहती है । गणेश चतुर्थी को मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमें दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है ।

शीश पर सर्प मुकुट व नाग की जनेऊ

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष परसराम जोशी ने बताया कि सिद्धेश्वर गणेश के हाथों में माला, नागपाश, फरसा और एकदंत, शीश पर सर्प मुकुट व गले में नाग की जनेऊ धारण की हुई है।

गणपति महोत्सव में होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम
चांदपोल के बाहर विद्याशाला किला रोड पर स्थित दक्षिण मुखी सिद्धेश्वर गणेश मंदिर में गणपति बप्पा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी तक मनाए जाने वाले जन्मोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है।

Source: Jodhpur

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