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बाड़मेर. हर कोई उन्हें कोच साहब कहता है। बास्केटबॉल के कोर्ट में प्रवेश करने से पहले खिलाड़ी उनके पांव छूना नहीं भूलते। उनके साथ खेल चुके खिलाड़ी उन्हें वन मैन आर्मी कहते हैं। सख्त अनुशासन व वक्त की पाबंदी उनकी पहचान है। बीते 33 वर्ष से वह नि:शुल्क कोचिंग दे रहे हैं। उनके दो शिष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं सैकड़ों शिष्य अपने खेल की बदौलत सरकारी नौकरी में है। कोच साहब व वन मैन आर्मी के नाम से मशहूर इस शख्स का नाम गेमरसिंह सोढ़ा है। वह 31 अगस्त को चिकित्सा विभाग की सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए हैं। लेकिन बास्केटबॉल को कोर्ट में अभी भी डटे हुए हैं।

1990 से शुरू की कोचिंग

गेमरसिंह सोढ़ा ने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान वर्ष 1985 में पहली बार बास्केटबॉल को हाथ लगाया और पहले ही प्रयास में स्टेट खेल गए। जगदीशसिंह चौहान ने उन्हें बास्केट के गुर सिखाए। चौहान को ही वह अपना गुरू मानते हैं। सोढ़ा ने 1990 में अपनी भूमिका बदलते हुए कोचिंग शुरू की। कोचिंग उन्हें व उनके शिष्यों को रास आ गई। इसके चलते गेमरसिंह के शिष्यों की कतार वर्ष दर वर्ष दर बढ़ती गई। वर्तमान में एक सौ से अधिक शिष्य उनसे बास्केटबॉल का हुनर सीख रहे हैं। वहीं बीते 33 वर्ष में हजारों खिलाडि़यों ने उनसे

प्रशिक्षण लिया।

365 दिन लगातार प्रशिक्षण

हाई स्कूल बाड़मेर के बास्केटबॉल कोर्ट में शाम 5.30 बजे गेमरसिंह सोढ़ा दिख जाते हैं। बीते 33 वर्ष से लगातार यह सिलसिला चला आ रहा है। इन 33 वर्षों में गिनती के दिन ही रहे होंगे, जब वह कोर्ट पर नहीं पहुंचे। यहां आने वाले खिलाडिय़ों को वह वर्ष पर्यन्त प्रशिक्षण देते रहते हैं। प्रतिदिन वह तीन घंटे तक कोर्ट पर खिलाडिय़ों को खेल की बारीकियां सिखाते हैं।

फीस के बारे में सोचा ही नहीं

गेमरसिंह सोढ़ा बताते हैं कि उन्होंने कभी सोचा ही नहीं कि फीस लेनी चाहिए। बास्केटबॉल के प्रति उनके जुनून, समर्पण व सेवा भाव के चलते बाड़मेर की सीनियर टीम स्टेट टूर्नामेंट में आम तौर पर अंतिम चार में खेलती ही है। वहीं बाड़मेर के एक अथवा दो खिलाड़ी प्रतिवर्ष नेशनल खेलते हैं। उनके शिष्य महीपाल व मोहम्मद अली ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया। उनके 200 से अधिक शिष्य खेल की बदौलत सरकारी नौकरी लगे हैं।

अब सुबह शाम बास्केट

साठ वर्ष की आयु होने पर गेमरसिंह चिकित्सा विभाग से सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उनकी फिटनेस किसी युवा खिलाड़ी से कम नहीं है। वे कहते है कि सरकारी नौकरी में होने के कारण अब तक शाम को ही कोर्ट पर आना होता था, लेकिन अब सुबह-शाम दोनों वक्त प्रशिक्षण होगा।

Source: Barmer News

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