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दिलीप दवे बाड़मेर. जांबाजों के परिवारों के लिए एक खुशखबरी है। राज्य सरकार की ओर से नियमों में संशोधन करने के बाद अब शहीदों के पोते पोतियों को भी अनु्कंपा नौकरी मिल सकेगी। अब तक राज्य में सरकारी कार्मिक की ऑन ड्यूटी मृत्यु पर अनुकम्पा नौकरी मिलती रही है, लेकिन सरहद की सुरक्षा में शहीद हुए वीरों के परिजन को नहीं मिलती थी। सरकार ने 2019 में अनुकम्पा नौकरी देने का नियम तो बनाया, लेकिन केवल पुत्र या पत्नी को ही नौकरी मिलने के नियम की वजह से कई शहीदों के परिवार अनुकंपा नौकरी पाने से रह गए। अब सरकार ने हर परिवार से एक जने को नौकरी देने की घोषणा की है तो पोते-पोती भी इसके हकदार होंगे।

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पहले यह प्रावधान ही नहीं था। तब सन 2019 में शहीदों के परिजन को अनुकम्पा नौकरी देने का निर्णय किया गया, जिसमें शर्त यह थी कि शहीद के पुत्र, पुत्री या पत्नी को नौकरी मिलेगी। जिस वक्त यह नियम आया उस वक्त 1971 तक शहीद हुए 18 शहीदों की पत्नी, बेटे, गोद पुत्र अनुकम्पा नौकरी के इंतजार में ओवरएज हो गए।

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ऐसे में जिले के एक भी शहीद के परिवार को अनुकंपा नौकरी का फायदा नहीं मिल पाया। गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध हो या फिर करगिल की लड़ाई, देश सेवा के हर मोर्चे पर मरुधरा के वीर योद्धाओं ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था।

जो शहीद हुए हैं, उनमें से अधिकतर के परिवार में सरकारी सेवा कोई नहीं है। जब सरकार ने नियम बनाया तो अधिकतर शहीदों के पुत्र, पत्नी ओवरएज हो गए, इस वजह से लाभ नहीं मिल पाया। अब अनुकुंपा नौकरी की घोषणा से उम्मीद है कि पोते-पोती सरकारी नौकरी पा सकेंगे।

– रघुवीरसिंह तामलोर, टीम थार के वीर बाड़मेर

मैंने पदभार संभालने के बाद मुख्यमंत्री को शहीदों के परिवारों की समस्याएं बताई थीं। इसमें अनुकंपा नौकरी का मामला भी शामिल रहा। सरकार ने पहल कर अब नियम में संशोधन किया है। इस पर शहीदों के परिजन पोते-पोती भी नौकरी पा सकेंगे।

– मानवेंद्रसिंह जसोल, अध्यक्ष सैनिक कल्याण सलाहकार समिति राजस्थान

राज्य सरकार के नए नियम के लागू होने पर फायदा मिलेगा। जिले में 28 शहीद हैं,जिनमें से एक परिजन को अनुकम्पा नौकरी नहीं मिली है। – भींयाराम जांणी, सैनिक कल्याण संगठक बाड़मेर

Source: Barmer News

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