शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करना है। शिक्षकों के उल्लेखनीय कार्यों को याद किया जाता है जो उन्होंने अपने शिक्षण कार्य के दौरान किए या फिर वर्तमान में भी कर रहे हैं। ऐसे सैकड़ों नहीं हजारों-लाखों शिक्षक मिल जाएंगे जिन्होंने किसी शिक्षण संस्थान में कार्य शुरू करने के बाद ऐेसे कई कार्य किए जिससे बच्चों का बेहतर भविष्य, स्कूल का स्तर और पर्यावरण से लेकर स्वास्थ्य तक की बातें शामिल रही है। ऐसे शिक्षक अपने कार्य से सामाजिक परिवर्तन ला रहे है, जिनका योगदान केवल शिक्षण संस्थान तक ही नहीं बल्कि प्रत्येक उस व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हुआ है, जो उनके साथ प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ाव रखता है। शिक्षक दिवस पर आज ऐेसे शिक्षकों के योगदान और उनके कार्यों को उल्लेख करते हुए उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का भी दिन है।
शिक्षा के साथ योग शिक्षण का पढ़ा रहे पाठ
शिक्षा के साथ युवा पीढ़ी को योग का पाठ पढ़ा रहे हैं बाड़मेर के शिक्षक हनुमानराम डऊकिया। शिक्षक लगने के बाद साल 2008 से योग से जुड़े और 2009 में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अनवरत योग की शिक्षा फैला रहे है। स्वयं ने योग के कैम्प लगाकर हजारों लोगों के साथ विद्यार्थियों को योग के गुर बताए हैं। उनके योगाभ्यास से करीब-करीब सभी क्षेत्रों के लोग जुड़े। लेकिन खासकर उनका फोकस युवा पीढ़ी पर अधिक है। बच्चों को योग के माध्यम से स्वस्थ रखने में शिक्षक हनुमानराम हमेशा अग्रणी है। वे बताते है कि शिक्षा से मस्तिष्क का विकास और व्यक्ति संपूर्ण बनता है और योग उसे स्वस्थ रखता है। योग इस तरह की क्रिया है जो हमे बीमार होने से बचाव करती है। योग युवाओं के साथ सभी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है। उन्होंने साल 2018 में योग में मास्टर डिग्री करते हुए योगाचार्य की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डिंडावा फागलिया में शिक्षक के रूप में कार्यरत है। शिक्षा के साथ योग शिक्षण का कार्य भी कर रहे हैं।
शिक्षक ने पर्यावरण संरक्षण को बनाया मुहिम
शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित शिक्षक भैराराम भाकर पेड़-पौधों के कई किमी की यात्रा कर चुके है। शिक्षण कार्य के साथ ही बच्चों को पर्यावरण का महत्व भी समझाते है। आम लोगों में भी पेड़-पौधों के अलावा प्रकृति से जुडऩे और उसके संरक्षण के प्रति लगाव रखने का संदेश देते हुए बदलाव की मुहिम चला रहे है। इंद्रोई के रने वाले शिक्षक भैराराम बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान में पिछले 23 साल में 4 लाख से अधिक पौधे रोपित कर चुके है। बाइक पर 25 हजार किमी यात्रा कर 1.15 लाख लोगों को पर्यावरण मुहिम से जोड़ते हुए हरित प्रदेश की कल्पना को साकार करने में जुटे है। प्रत्येक साल एक महीने का वेतन पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लगाते है। घर-घर सहजन अभियान के तहत 1.5 लाख बीज वितरण कर रोपित कराने का कार्य किया। इस साल देशज पेड़ जाळ के 12 लाख बीज एकत्रित कर राजस्थान के रेगिस्तानी 8 जिलों में वितरण कर सीड बॉल्स से रोपित करवाने का बेहतरीन कार्य किया।
शिक्षण के साथ हर स्तर पर बदलाव
राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल छोटू में बदलाव की बयार है। स्कूल को स्वच्छता के लिए प्रदेश की एकमात्र स्कूल बनने का गौरव मिल चुका है। इसके सबसे बड़े प्रेरक है प्रधानाचार्य धर्मवीर रोज। शिक्षक होन के साथ उन्होंने स्कूल की शिक्षण व्यवस्था और सुविधाओं और बच्चों की प्रतिदिन की जरूरतों को समझते हुए बदलाव के प्रयास किए और अपनी टीम और सभी के सहयोग से उन्हें सार्थक करके भी दिखाया है। बच्चों को स्कूल शिक्षा के दौरान ही दायित्व बोध हो जाए, इसके लिए उन्होंने प्रत्येक बच्चों को कम से एक-एक जिम्मेदारी भी दी है। वहीं शिक्षा के साथ बच्चों में खेलकूद के साथ कई तरह की अन्य गतिविधियों को शामिल करते हुए सर्वांगीण विकास के प्रति अग्रसर है। एक छात्र का समग्र रूप से कैसे विकास किया जाए, इसके लिए स्कूल स्तर पर कई तरह के प्रयास नजर आते है। इसमें चाहे शिक्षण का हो या फिर खेलकूद। छात्र स्व-मूल्यांकन यहां करते दिखते हैं। स्कूल की स्वच्छता और रखरखाव के लिए जिले में एक मिसाल है।
Source: Barmer News