केस-़1
पनकी देवी (बदला हुआ नाम)। रामदेवरा में रामसरोवर तालाब पर जातरूओं को मछलियों के लिए आटे की गोलियां बेचती है। दिनभर में दो-तीन सौ रुपए कमाकर घर लौटती है। मेले के दौरान दो गुना कमा लेती है। खुद पैसा कमाती है तो चेहरे पर हरदम मुस्कान तैरती है। घर में भी पैसाें के लिए वह किसी पर निर्भर नहीं है। वह स्वाभिमानी जीवन जी रही है।
केस-2
खमिया (बदला नाम) पैरों से अपाहिज है। मंदिर की पाळ पर प्लास्टिक की खाली बोतलें बेच कर दिनभर में ढाई-तीन सौ रुपए कमा लेता है। पहले मंदिर के बाहर बैठता था। जातरू प्रसाद देते, उसी से पेट भराई होती थी। कड़ी धूप में प्रसाद के लिए मुंह ताकना पड़ता था। गिन-गिन कर दिन निकलते थे। अब खुद अपने पैरों पर खड़ा है। जातरू खाली बोतलों में तालाब का पानी भरकर ले जाते हैं। अब वह सुकून से जी रहा है।
राजेन्द्रसिंह देणोक
रामदेवरा (जैसलमेर). देश का प्रसिद्ध और लोकप्रिय धार्मिक स्थल है रामदेवरा। श्रावण और ***** में लाखों श्रद्धालु बाबा रामदेव के दर्शन करने आते हैं। आमदिनों में भी जातरूओं की भीड़ लगी रहती है। मेले में जातरूओं से प्रसाद और पैसा मांगकर दो वक्त की रोटी की जुगत करने वालों की मंदिर के बाहर लाइन लगी रहती थी। अब नजारा बदल गया है। ऐसे लोग आत्मनिर्भर बन गए हैं। महिलाएं और पुरुष खुद के पैरों पर खड़े होकर स्वाभिमानी जीवन जी रहे हैं।
मेहनत काे बनाया विकल्प
रामदेवरा में करीब 50 से ज्यादा महिलाएं रामसरोवर पर आटे की गोलियां बनाकर बेचती है। कुछ रामसरोवर तालाब की मिट्टी की पुडि़या बेचती है। मान्यता है कि तालाब की मिट्टी निरोगी होती है। जातरू इसे अपने शरीर पर लगाते हैं। इसी तरह, बावड़ी का पानी भी गंगाजल की तरह पवित्र माना जाता है। जातरू अपने साथ ले जाते हैं। जातरूओं को प्लास्टिक की खाली बोतलें मुहैया कराते हैं। इतने ही पुरुष मांगकर पेट भरते थे। अब महिलाओं और पुरुषाें के लिए यह कमाई का जरिया बन गया। कई दिव्यांग भी यही काम कर रहे हैं। इससे उनका घर खर्च आसानी से निकल जाता है। s कुछ लोगों ने अपना रोजगार शुरू किया तो धीरे – धीरे वे सभी लोग जुड़ गए।
मिसाल बना रामदेवरा
आत्मनिर्भर होने के क्या मायने होते हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है रामदेवरा। यहां जो महिलाएं और पुरुष प्रसाद और पैसों के लिए जातरूओं के आगे-पीछे दौड़ते थे, अब मिसाल बन रहे हैं। उनका कहना है कि मेहनत से खुद कमाते हैं तो सुकून मिलता है। किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
प्रत्येक धार्मिक स्थल पर हो ऐसा प्रयोग
प्रदेश में ऐसे कई धार्मिक स्थल है जहां भिखारियों की भीड़ लगी रहती है। रामदेवरा जैसा प्रयोग सभी जगह किया जा सकता है। इसमें राज्य सरकार, देव स्थान विभाग और देव स्थल पहल कर सकते हैं। जिससे भीख मांगने वालों की संख्या में भी कमी आएगी और वे आत्मनिर्भर बन कर समाज का हिस्सा बन सकेंगे।
Source: Barmer News