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जोधपुर. शौक कब जुनून मे बदल जाए, पता ही नहीं चलता। कुछ अलग करने का जज्बा इस कदर कि सिक्कों का म्यूजियम ही बना दिया। यह है सुभाष सिंगारिया, जिन्होंने अपने घर को सिक्कों के म्यूजियम में बदल दिया। सुभाष ने वर्ष 1999 में सिक्कों के कलेक्शन का काम शुरू किया और पिछले करीब 20 वर्षो से सिक्कों के संग्रहण व प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके पास वर्तमान में भारत के अलावा 185 देशों के करीब 10 हजार सिक्कें है। वहीं करीब 160 देशों की पेपर मनी (नोट) है। जिनमें ब्रिटिश भारत, रिपब्लिक पेपर मनी (नोट) आदि शामिल है। इनका सपना गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराना है।

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म्यूजियम ऑन व्हील से कर रहे जागरूक
सुभाष ने अपने कॉइन म्यूजियम को घर तक ही सीमित नहीं रखा। इन्होंने इसी वर्ष की शुरुआत में म्यूजियम ऑन व्हील की स्थापना की। इसमें यह अपनी बाइक पर कॉइन का बेसिक कलेक्शन रखते हैं और सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों को निशुल्क जानकारी देते हैं। इनके म्यूजियम को देशी-विदेशी पर्यटक, विभिन्न सरकारी कार्यालयों के लोग, स्कूल-कॉलेजों के बच्चें देखने आते हैं।

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नौवीं कक्षा से शुरू हुआ शौक
सुभाष ने बताया कि कक्षा नौवीं में पढ़ते थे, तब मेहरानगढ़ फोर्ट पर घूमने के दौरान एक विदेशी पर्यटक ने उनको एक सिक्का दिया। इसके बाद सिक्कें एकत्रित करने का आइडिया आया। पढ़ाई के साथ जूस बेचना, सुपारी सेल्सब्वॉय, रूम ब्वॉय, हैण्डीक्राफ्ट दुकान आदि पर काम कर अपने शौक को पूरा करते रहे।

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कलेक्शन की गैलेरी
सुभाष के पास देश-विदेश के कई दुर्लभ सिक्कों का कलेक्शन है। इन्होंने सिक्कों की गैलेरी बना रखी है। इसके अलावा पुराने जमाने में दिए जाने वाले मेडल्स, न्यूमैस्मेटिक बुक्स भी है।
– प्रूफ सेट- सरकार की ओर से केवल प्रूफ के तौर पर निकाले जाने वाले सिक्कें, जो आम जनता में प्रचलन के लिए नहीं होते।
– मिस्प्रिंट सिक्के – ऐसे सिक्के, जिनमें ढलाई के समय कोई त्रुटि रह जाती है।
– इंडो सिसेनियम सिक्के – 550 एडी यानि जोधपुर की स्थापना से पूर्व में प्रचलन में रहे सिक्के भी हैं।
– सातवाहन सिक्के – सातवाहन युग के समय प्रचलन में रहे शीशे के सिक्के।
– कुषाण कालीन सिक्के – कुषाण युग के समय प्रचलन में रहे तांबे के सिक्के।
– रियासतकालीन सिक्के – आजादी से पूर्व देशी रियासतों के जमाने के सिक्कों का भी अच्छा कलेक्शन है।

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खादी हुण्डी नोट भी
पुराने जमाने में कपड़े का व्यापार करने वाले व्यापारियों के लिए खादी कपड़ा खरीद-फरोख्त के लिए केवल खादी हुण्डी नोट का प्रयोग होता है। यह नोट अन्य कहीं काम नहीं आता था।

Source: Jodhpur

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